सोल : दक्षिण कोरिया ने कहा है कि उसने अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों के लिए ठोस ईंधन का उपयोग करने के लिए अमेरिका से सहमति ली है. इससे सोल अपने निगरानी उपग्रहों को लॉन्च करने और अधिक शक्तिशाली मिसाइल बनाने की प्रौद्योगिकी हासिल करने में सक्षम होगा.
ठोस ईंधन मिसाइलों और रॉकेटों के लिए अधिक गतिशीलता प्रदान करता है और लॉन्च की तैयारी के समय को कम करता है. आपको बता दें कि वॉशिंगटन ने अंतरिक्ष प्रक्षेपण रॉकेटों के लिए सोल के ठोस ईंधन के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि इसका इस्तेमाल बड़ी मिसाइलों के उत्पादन और क्षेत्रीय हथियारों की दौड़ के लिए किया जा सकता था.
फिलहाल दक्षिण कोरियाई सरकार ने मंगलवार को कहा कि सोल और वाशिंगटन इस तरह के प्रतिबंधों को हटाने के लिए सहमत हुए हैं. सुरक्षा सलाहकार किम ह्यून-चोंग ने संवाददाताओं को बताया कि सभी दक्षिण कोरियाई अनुसंधान संस्थान, कंपनियां और व्यक्ति अब ठोस ईंधन का उपयोग करके अंतरिक्ष प्रक्षेपण रॉकेटों को विकसित करने, उत्पादन करने और रखने के लिए स्वतंत्र हैं.
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किम ने कहा कि संशोधित समझौता अब भी दक्षिण कोरिया को 800 किलोमीटर से अधिक दूरी की मिसाइल रखने से रोकता है. लेकिन उन्होंने कहा कि अगर दक्षिण कोरियाई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसकी आवश्यकता होगी तो सोल वॉशिंगटन के साथ उस प्रतिबंध को बदलने की चर्चा कर सकता है.
वैसे दक्षिण कोरिया से 800 किलोमीटर की दूरी तक दागी गई एक मिसाइल अब भी उत्तर कोरिया पर हमले के लिए पर्याप्त है.
किम ने कहा कि इससे दक्षिण कोरिया की खुफिया और टोही क्षमता में काफी सुधार होगा, जब यह जासूसी उपग्रहों को अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में रखने के लिए ठोस ईंधन वाले रॉकेटों का उत्पादन और प्रक्षेपण करेगा. उन्होंने कहा कि इस तरह के उपग्रह प्रक्षेपण के लिए ठोस ईंधन रॉकेट का उपयोग करना अधिक मायने रखता है.