इस्लामाबाद : पाकिस्तान के लाहौर उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के छह वरिष्ठ नेताओं को आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराने के फैसले को रद्द कर दिया और उन्हें बरी कर दिया.
मुंबई आंतकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाला जमात-उद-दावा प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुखौटा संगठन है. एलईटी 2008 के मुंबई हमले को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन है. इस हमले में छह अमेरिकियों सहित 166 लोग मारे गए थे.
पंजाब पुलिस के आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद लाहौर की आतंकवाद-निरोधी अदालत ने इस साल अप्रैल में जमात-उद-दावा के वरिष्ठ नेताओं- प्रो. मलिक जफर इकबाल, याह्या मुजाहिद (जेयूडी के प्रवक्ता), नसरुल्ला, समीउल्लाह और उमर बहादुर को नौ-नौ साल की कैद और हाफिज अब्दुल रहमान मक्की (सईद का बहनोई) को छह महीने की जेल की सजा सुनाई थी.
निचली अदालत ने इन नेताओं को आतंकवाद के वित्तपोषण का दोषी पाया था. वे धन इकट्ठा कर लश्कर-ए-तैयबा को अवैध रूप से धन मुहैया करा रहे थे. अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के माध्यम से एकत्र किए गए धन से अर्जित संपत्ति को जब्त करने का भी आदेश दिया था.
अदालत के एक अधिकारी ने बताया, 'शनिवार को मुख्य न्यायाधीश मुहम्मद अमीर भट्टी और न्यायमूर्ति तारिक सलीम शेख की खंडपीठ ने जेयूडी के छह नेताओं के खिलाफ सीटीडी की प्राथमिकी मामले में निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष संदेह से परे प्रतिवादियों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा.'