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बांग्लादेश : समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता की हत्या मामले में पूर्व मेजर सहित छह को मौत की सजा - समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता की हत्या मामले में पूर्व मेजर सहित छह को मौत की सजा

अदालत ने इसके साथ ही आठ आरोपियों में दो को बरी कर दिया जिन्हें शुरुआत में अभियोजित किया गया था जबकि चार दोषियों को प्रगतिशील लेखक और प्रकाशक फैसल अरफिन दीपन की वर्ष 2015 में हुई हत्या के एक अन्य मामले में भी मौत की सजा सुनाई.

पूर्व मेजर सहित छह को मौत की सजा
पूर्व मेजर सहित छह को मौत की सजा

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Published : Sep 1, 2021, 4:52 AM IST

ढाका:बांग्लादेश की आतंकवाद रोधी अधिकरण ने वर्ष 2016 में समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता और उसके दोस्त की नृशंस हत्या के मामले में सेना के भगोड़े पूर्व मेजर और पांच इस्लामिक चरमपंथियों को मंगलवार को मौत की सजा सुनाई. आतंकवाद रोधी विशेष अधिकरण के न्यायाधीश मोहम्मद मुजीबुर रहमान ने फैसले में कहा कि उन्हें (दोषियों को)उनकी मौत होने तक फांसी पर लटकाया जाए. बता दें कि चार दोषी जेल में कैद हैं जबकि अब भी दो दोषी कानून की गिरफ्त से दूर हैं.

गौरतलब है कि अप्रैल 2016 में बांग्लादेश की पहली समलैंगिक अधिकार पत्रिका के संपादक जुल्हाज मन्नन और उनके दोस्त मुहबाब रब्बी तनोय की इस्लामिक आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. मन्नन यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) के लिए काम करते थे. ढाका स्थित अपार्टमेंट में मन्नन की हत्या देश में विदेशियों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगरों की हत्या का दौर का हिस्सा था.

न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि वह मौत की सजा दे रहे हैं क्योंकि इन्होंने एलजीबीटी (समलैंगिक, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर) कार्यकर्ता और उसके मित्र की हत्या कर जो जघन्य अपराध किया है उसके बाद दया की सभावना नहीं बचती.

अदालत ने इसके साथ ही आठ आरोपियों में दो को बरी कर दिया जिन्हें शुरुआत में अभियोजित किया गया था जबकि चार दोषियों को प्रगतिशील लेखक और प्रकाशक फैसल अरफिन दीपन की वर्ष 2015 में हुई हत्या के एक अन्य मामले में भी मौत की सजा सुनाई. अभियोजन पक्ष के मुताबिक मौत की सजा पाए दोषी प्रतिबंधित स्थानीय आतंकवादी समूह अंसार-अल-इस्लाम के सदस्य हैं.

अंसार-अल -इस्लाम भारतीय उप महाद्वीप में खुद को अलकायदा से सबद्ध बताता है. संगठन की शस्त्र इकाई का नेतृत्व सेना से बर्खास्त मेजर जियाउल हक करता है. हालांकि, बांग्लादेश का कहना है कि उसके देश में किसी विदेशी आतंकवादी संगठन की मौजूदगी नहीं है और चरमपंथी संगठन घरेलू स्तर पर ही बने हुए हैं.

पीटीआई-भाषा

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