वॉशिंगटन : अफगानिस्तान के पकतिया प्रांत में एक सिख व्यक्ति को अगवा कर लिया गया है. हालांकि, घटना चार दिन पहले की है. वहीं अमेरिका में रहने वाले अफगान सिख समुदाय ने इसकी पुष्टि की है और मदद के लिए भारत से गुहार लगाई है.
अगवा किए गए व्यक्ति की पहचान निधन सिंह के रूप में की गई है. निधन सिंह पकतिया प्रांत के तसमनी जिले के निवासी हैं और स्थानीय गुरुद्वारा में गुरुसेवक (सहायक) के रूप में काम करते थे.
निधन सिंह के अपहरण के बाद अमेरिका में रहने वाले अफगान सिख समुदाय ने भारत सरकार से अफगानिस्तान में रहने वाले सिखों के पुनर्वास में मदद करने का आग्रह किया है.
न्यू जर्सी में अफगान सिख समुदाय के अध्यक्ष परमजीत सिंह बेदी ने कहा, 'मैंने आफगािनस्तान के सिख सांसद नरिंदर सिंह से बात की है और उन्होंने बताया कि अफगान सरकार के अधिकारियों ने निधन सिंह की मदद करने और उन्हें खोजने का वादा किया है.'
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बेदी ने आगे कहा कि नरिंदर सिंह ने तालिबान नेताओं से भी बात की है और उन्हें आश्वासन दिया गया है कि निधन सिंह की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे.
परमजीत सिंह बेदी और सिख समुदाय के अन्य सदस्य केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिका में भारतीय दूत तरनजीत सिंह संधू को लिखित अपील भेजेंगे.
सिख समुदाय काबुल, जलालाबाद और गजनी में रहने वाले सिख अल्पसंख्यकों को लेकर चिंतित हैं और भारत से लगातार समर्थन की मांग कर रहे हैं. अफगान सिख समुदाय के नेताओं ने भारत से कई बार अपील की है कि वह अफगानिस्तान से सिखों और हिंदुओं को समायोजित करने के लिए और उन्हें दीर्घकालिक निवास स्थान के साथ कानूनी रूप से कई एंट्री वीजा प्रदान करें.
अमेरिका में रहने वाले अफगान सिख समुदाय के नेताओं ने कहा कि अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की गंभीर स्थिति को खत्म करना अनिवार्य है, जो उस क्षेत्र में भारत को एकमात्र सुरक्षित स्थान के रूप में देखते हैं.
बीते मई महीने में 26 अमेरिकी सांसदों ने अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की थी और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से युद्ध से प्रभावित देश में फंसे सिख और हिंदू समुदाय के सदस्यों के 'सुरक्षित और शीघ्र पुनर्वास' की सुविधा के लिए सभी उपलब्ध कदम उठाने का आग्रह किया था.
अमेरिकी विदेश मंत्री को चार मई को लिखे गए पत्र में कहा गया था कि अफगानिस्तान में सिख-हिंदू समुदाय इस्लामिक स्टेट के हमलों के डर के साए में जी रहे हैं. अफगानिस्तान में सिख और हिंदू समुदाय के लगभग 250,000 लोगों ने चरमपंथियों से भेदभाव और हिंसा को सहन किया है.