कोलंबो: श्रीलंका के चुनाव आयोग ने बुधवार को राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा कर दी है. चुनाव आयोग के ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनावों की तारीख 16 नवंबर निर्धारित की है.राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने कहा कि नामांकन पत्र दाखिल करने केी प्रक्रिया 7 अक्टूबर से शुरू होगी.चुनाव आयोग के अनुसार इस साल लगभग 1 करोड़ 59 लाख मतदाता वोट देंने के योग्य हैं.
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, मतदान वर्तमान राष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति से एक महीने पहले होना चाहिए.
मौजूदा राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना का पांच साल का कार्यकाल 8 जनवरी, 2020 को समाप्त होने वाला है.
30 मई को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के बाद नई दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए, सिरिसेना ने कहा था कि उन्हें अभी एक बार और चुनने का फैसला जनता के हाथ में है.
आज की घोषणा के साथ सिरीसेना अपने पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से दो महीने पहले राष्ट्रपति पद छोड़ देंगे.
आपको बता दें सिरिसेना ने महिंद्रा राजपक्षे को चुनौती दी थी. जिसके बाद उन्हें 8 जनवरी, 2015 को पांच साल के कार्यकाल के लिए चुना गया था. इससे पहले उन्होंने अपने दुसरे कार्यकाल की समाप्ति के पहले अचानक चुनाव कराने की घोषणा की थी.
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वहीं एसएलपीपी 'श्रीलंका पोडुजाना पेरमुना' ने गोटाबैया राजपक्षे को अपने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि जेवीपी नेता अनुरा कुमारा डिसनायके नेशनल पीपुल्स पावर आंदोलन के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.
सामाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक गोटाबया राजपक्षे के एक सलाहकार और प्रवक्ता के अनुसार श्रीलंकाई राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार गोटाबया राजपक्षे अगर चुनाव जीतते हैं तो देश के शीर्ष ऋणदाता चीन के साथ 'संबंध बहाल करेंगे' साथ ही इस सप्ताह गोटाबया राजपक्षे ने एक वरिष्ठ चीनी अधिकारी के साथ मुलाकात भी की.
उन्होंने कहा कि चीन और श्रीलंका के पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों ने सोमवार को एक और झटका दिया. जब राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने दक्षिण एशिया के सबसे ऊंचे टॉवर लोटस टॉवर के निर्माण के लिए अनुबंधित एक चीनी कंपनी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. श्रीलंकाई संसदीय पैनल ने कहा कि वह इसकी जांच करेगा.
सिरीसेना के आरोपों पर न तो कंपनी और न ही कोलंबो में चीनी दूतावास ने टिप्पणी की है. चीन ने श्रीलंका में अपनी बहु-अरब डॉलर की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में किसी भी तरह के गलत काम से इनकार किया है.
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हालांकि सिरीसेना ने अब तक फिर से चुनावी दौड़ में शामिल होने की घोषणा नहीं की है, लेकिन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के यूएनपी के साथ रिश्तों में खटास से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि यूएनपी अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी.
सिरीसेना ने पिछले साल अक्टूबर में विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था, और उनकी जगह राजपक्षे को नियुक्त किया. इस कदम से संवैधानिक गतिरोध पैदा हो गया, जो 50 दिनों तक चला. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद,रनिल विक्रमसिंघे को प्रधान मंत्री के रूप में बहाल किया गया था.