दिल्ली

delhi

ETV Bharat / international

म्यांमार में आंग सान सू की पार्टी के सत्ता में वापसी के आसार - नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आन सांग सू की

म्यांमार के चुनाव में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता 'आन सांग सू की' की वापसी की खबरें आ रही हैं. बता दें, 2015 के चुनाव में 'आन सांग सू की' की जीत से देश में सैन्य शासन का अंत हुआ था. यह तो सोमवार को ही पता चलेगा ही कौन विजेता होगा.

Polls close in Myanmar vot
सैन्य प्रमुख और सीनियर जनरल मिन आंग ह्लिंग ने लाइन में लगकर डाला वोट

By

Published : Nov 8, 2020, 7:02 PM IST

यंगून :म्यांमार में रविवार को संसद के दोनों सदनों और प्रांतीय विधानसभा के लिए चुनाव शांतिपूर्वक निपट गए. अब वहां पर वोटों की गिनती जारी है. ऐसी खबरें मिली हैं कि म्यांमार के चुनाव में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आन सांग सू की एक बार फिर सत्ता में वापसी करेंगी.

70 लाख लोग करेंगे मताधिकार का प्रयोग

म्यामांर में 2015 में हुए चुनाव में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की जबरदस्त जीत के साथ देश से 50 साल के सैन्य अथवा सैन्य निर्देशित शासन का अंत हुआ था. इस बार देखना होगा कि कोरोना महामारी और रोहिंग्या सहित अन्य कई मुद्दों का चुनाव पर किस तरह से असर पड़ता है. साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा आबादी वाले म्यामांर में इस बार के चुनाव में तीन करोड़ 70 लाख वोटर अपने मतों का प्रयोग करेंगे. इस बार म्यांमार के चुनाव में मतदान केंद्रों पर लाइनों में मास्क पहनना अनिवार्य किया गया था. इसके साथ-साथ कई मतदाताओं ने प्लास्टिक फेस शील्ड और दस्ताने भी दान किए. म्यांमार के चुनाव में इस बार थर्मल स्कैनर का भी प्रयोग किया गया.

पढ़ें:विशेष : नरम रूख अपनाएंगे बाइडेन, भारत पर नहीं पड़ेगा कोई असर

सुबह से लगी वोटरों की लाइन

चुनाव आयोग ने कहा कि वह सोमवार सुबह म्यांमार के चुनाव परिणाम घोषित करना शुरू करेगा, लेकिन सभी मतों को एकत्र करने में एक सप्ताह तक का समय लग सकता है. म्यांमार की प्रशासनिक राजधानी नाएप्यीडॉ में देश के सैन्य प्रमुख और सीनियर जनरल मिन आंग ह्लिंग ने मतदान केंद्र में लाइन में लगकर वोट डाला.

बता दें, आन सांग सू की ने अक्टूबर में पहले ही अपना वोट डाल दिया था. म्यांमार के चुनाव में इस बार 90 से अधिक पार्टियां संसद के निचले और ऊपरी सदनों की सीटों के लिए भाग ले रही हैं. अव्यवस्था के विरोध के साथ सू की म्यांमार की सबसे लोकप्रिय राजनीतिज्ञ बनी हुई हैं, लेकिन उनकी सरकार से लोगों को कम उम्मीदें हैं, आर्थिक विकास के साथ व्यापक गरीबी को कम करने और भयंकर जातीय समूहों के बीच तनाव कम करने में विफल हुई सू की सरकार से लोगों को अबकी बार कम ही उम्मीदे हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details