काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सोमवार को प्रतिनिधि सभा में पेश विश्वास प्रस्ताव हार गए. राजनीतिक रूप से संकट का सामना कर रहे ओली के लिए इसे एक और झटका माना जा रहा है जो कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल (माओवादी केंद्र) नीत पुष्पकमल दहल गुट द्वारा सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद पार्टी पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी के निर्देश पर संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के आहूत विशेष सत्र में प्रधानमंत्री ओली की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में केवल 93 मत मिले जबकि 124 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया. प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष अग्नि सपकोटा ने नतीजों की घोषणा करते हुए बताया कि विश्वास प्रस्ताव पर कुल 232 सदस्यों ने मतदान किया जिनमें से 15 सदस्य तटस्थ रहे.
ओली (69 वर्षीय) को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में विश्वासमत जीतने के लिए 136 मतों की जरूरत थी क्योंकि चार सदस्य इस समय निलंबित हैं. सदन की कार्यवाही को स्थगित करने से पहले सपकोटा ने घोषणा की, प्रस्ताव के पक्ष में पड़े मत मौजूदा प्रतिनिधि सभा के सदस्यों के हिसाब से बहुमत तक नहीं पहुंचे हैं. मैं घोषणा करता हूं कि प्रधानमंत्री द्वारा पेश प्रस्ताव जिसमें उन्होंने विश्वास हासिल करने की इच्छा व्यक्त की है, खारिज हो गया है.
नेपाली संविधान के अनुच्छेद-100 (3) के प्रावधान के तहत प्रधानमंत्री ओली स्वत: ही पद से अवमुक्त हो गए हैं. ओली के प्रतिद्वंद्वी माधव नेपाल और झाला नाथ खनाल गुट के 28 समर्थक सदस्य विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे. मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवोदी केंद्र) के क्रमश: 61 और 49 सदस्यों ने ओली के खिलाफ मतदान किया.