येरेवान (आर्मीनिया) : पिछले साल नागोर्नो-काराबाख के क्षेत्र (Area of Nagorno-Karabakh) को लेकर अजरबैजान (Azerbaijan) के साथ जंग में आर्मीनिया (Armenia) की शर्मनाक हार के बाद आर्मीनिया के सत्तारूढ़ दल के नेता चुनाव में कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान (Prime Minister Nikol Pashinyan) ने नवंबर में शांति समझौते के बाद जनता के रोष को शांत करने के लिए समय से पहले ही रविवार को चुनाव कराने का आह्वान किया. पिछले कई महीने से प्रदर्शनकारी पशिनयान के इस्तीफे की मांग कर रहे थे.
रुस की मध्यस्थता से हुए समझौते से आर्मीनिया और आजरबैजान की सेना के बीच छह सप्ताह से चल रही जंग खत्म हो गयी लेकिन आजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख के बड़े हिस्से और आसपास के इलाके पर अपना नियंत्रण बना लिया, जहां पिछले कई वर्षों से आर्मीनिया की सेना का कब्जा था.
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इस समझौते के बाद आजरबैजान की राजधानी बाकू में लोगों ने जीत का जश्न मनाया जबकि येरेवान में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर गए और राष्ट्रीय हितों के साथ धोखा होने का आरोप लगाया.
विरोध प्रदर्शन के बाद सत्ता में आए निकोल पशिनयान
येरेवान में ‘रिजनल स्टडीज सेंटर’ के निदेशक रिचर्ड गिरागोसेन ने कहा, 'नागोर्नो-काराबाख के युद्ध में अप्रत्याशित हार के मद्देनजर यह चुनाव जनमत संग्रह की तरह है. तुर्की सेना के सहयोग से आजरबैजान द्वारा हमले ने आर्मीनिया में राजनीतिक परिदृश्य को नए सिरे से परिभाषित किया है.'