इस्लामाबाद : पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद यूसुफ ने कहा कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने के संबंध में 'इंतजार करो और नजर रखो' की नीति में खामियां हैं और इसके परिणाम स्वरूप युद्ध प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो सकती है.
तालिबान ने अफगानिस्तान की पूर्ववर्ती पश्चिम समर्थित निर्वाचित सरकार को सत्ता से हटाकर अगस्त के मध्य में देश पर पूरा नियंत्रण कर लिया. तालिबान द्वारा घोषित अंतरिम कैबिनेट में चरमपंथी समूह के बड़े सदस्यों के नाम शामिल हैं.
दुनिया के कई नेताओं ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान की मौजूद सरकार को मान्यता देने से पहले वह देखना चाहते हैं कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से किए गए अपने वादों को पूरा करता है या नहीं. तालिबान के वादों में समावेशी अफगान सरकार का गठन और मानवाधिकारों का सम्मान करना आदि शामिल है.
यूसुफ ने बुधवार को कहा, '(अफगानिस्तान में नयी सरकार के संबंध में) इंतजार करो और नजर रखो, का मतलब है बर्बादी.' उन्होंने कहा कि 1990 के दशक में भी ऐसी ही गलती की गयी थी.