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डेनियल पर्ल हत्याकांड: पाक वकील ने हत्यारे को अंतरराष्ट्रीय आतंकी बताया - American journalist Daniel Pearl's murder case

2002 में हुए डेनियल पर्ल हत्याकांड ने सनसनी मचा दी थी. इस केस के वकील ने देश और पाकिस्तान की शीर्ष कोर्ट को बताया कि आरोपी अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है.

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भारत के उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का भी दिया हवाला

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Published : Dec 17, 2020, 7:13 AM IST

इस्लामाबाद: अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल हत्याकांड में उनके अभिभावकों के वकील ने बुधवार को पाकिस्तान की शीर्ष अदालत को सूचित किया कि पर्ल की हत्या का मुख्य साजिशकर्ता एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है. वकील ने अपने दावे के समर्थन में भारत के उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का हवाला भी दिया.

वॉल स्ट्रीट जनरल के दक्षिण एशिया प्रमुख 38 वर्षीय डेनियल पर्ल की वर्ष 2002 में पाकिस्तान में उस समय अगवा कर हत्या कर दी गई थी, जब वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और अलकायदा के बीच संबंध को लेकर पड़ताल कर रहे थे. ब्रिटिश मूल के अलकायदा नेता अहमद उमर सईद शेख और उसके तीन साथियों को पर्ल के अपहरण और हत्या का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई थी.

अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है पर्ल की हत्या का मुख्य साजिशकर्ता

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट में वकील फैसल सिद्दीकी द्वारा दाखिल शपथपत्र के हवाले से कहा गया कि वर्तमान याचिकाओं के मद्देनजर यह तथ्य स्पष्ट है कि इन अपराधों का मुख्य साजिशकर्ता अहमद उमर शेख एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी था जोकि फिरौती के लिए अपहरण करने की अन्य वारदात में भी संलिप्त था.

सिंध हाई कोर्ट ने सुनाई थी सात साल कैद की सजा

सिद्दीकी ने कहा कि भारतीय उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के साथ ही बचाव पक्ष के स्वयं के साक्ष्य भी इन तथ्यों का समर्थन करते हैं. इसलिए इन मौजूदा याचिकाओं के निर्णय में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का यह संदर्भ महत्वपूर्ण है. सिंध उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने अप्रैल में शेख की मौत की सजा को पलटते हुए उसे सात साल कैद की सजा सुनाई थी. साथ ही पीठ ने पर्ल हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे शेख के तीन सहयोगियों को बरी कर दिया था.

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उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की पीठ सिंध सरकार और पर्ल के परिवार द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. वकील सिद्दीकी ने उच्चतम न्यायालय से सिंध उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया और फैसले में साक्ष्यों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया.

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