इस्लामाबाद : पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन से रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग से जुड़े एक प्रस्ताव पर जारी बहस से दूर रहा. बुधवार को प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता को लेकर 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा (UN General Assembly) ने सोमवार को एक दुर्लभ और अभूतपूर्व आपातकालीन सत्र उस समय बुलाया, जब 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने रविवार को मामला विश्व के सर्वाधिक प्रतिनिधित्व वाले अंतरराष्ट्रीय निकाय को सौंपने का प्रस्ताव पारित किया.
यूएन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, रूस ने यूक्रेन के खिलाफ बिना उकसावे वाली कार्रवाई की है, क्योंकि उसे पूर्वी यूरोपीय देश से कोई खतरा नहीं था. इसमें कहा गया, 'यह संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का स्पष्ट उल्लंघन है. साथ ही यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है.' बयान के अनुसार, लगभग 100 देश संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र को संबोधित कर सकते हैं, जिसके बुधवार को होने की उम्मीद है और इसमें यूक्रेन पर एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान होने की संभावना है.
'द डॉन' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूएन के सदस्य के तौर पर पाकिस्तान महासभा में जारी बहस में हिस्सा ले सकता है, जो मंगलवार को दूसरे दिन में प्रवेश कर गई, लेकिन उसने ऐसा करने से परहेज किया. माना जा रहा है कि पाकिस्तान इस विवाद में शामिल होने से बचना चाहता है, जो उसे असहज स्थिति में डालता है. दरअसल, पाकिस्तान को अमेरिका का एक पारंपरिक सहयोगी कहा जाता रहा है, जिसने कभी वाशिंगटन को चीन तक पहुंचने का रास्ता मुहैया कराया था.
ये भी पढ़ें - Ukraine crisis : यूक्रेन को लेकर अमेरिका ने पाकिस्तान को चेताया, पुतिन से मिलेंगे इमरान
रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान, जो इस मुद्दे पर तटस्थ रहने की कोशिशों में जुटा है, यूक्रेन संकट पर बहस से दूर रहा. इसमें कहा गया है कि संवाददाताओं ने जब भारत के यूक्रेन संकट से जुड़े प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुए मतदान से दूर रहने के बारे में पूछा तो अमेरिकी विदेश विभाग ने उनसे 'किसी खास देश पर ध्यान केंद्रित न करने' की अपील की.