नई दिल्ली : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने खुलेआम यह कहकर इमरान खान सरकार को झटका दे दिया है कि देश एफएटीएफ द्वारा कालीसूची (ब्लैकलिस्ट) में डाले जाने के कगार पर है, क्योंकि पाक सैन्य नेतृत्व द्वारा बाहरी मुद्दों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था.
शरीफ ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तानी जनरलों के गुस्से को बढ़ा दिया, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि वह (शरीफ) उन इस्लामिक आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करें, जो भारत और अफगानिस्तान में सीमा पार से आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे थे और इसके नतीजे में उन्हें पद छोड़ना पड़ा.
इस्लामाबाद से रायटर की एक रिपोर्ट में शरीफ के हवाले से कहा गया जब हमने बताया कि हमारे मित्र देश हमें बाहरी मुद्दों पर हमारी भागीदारी के बारे में चेतावनी दे रहे हैं, जो कि सेना के इशारे पर किए जा रहे थे, तो हम पर हमला किया गया और इसे एक घोटाले में बदल दिया गया.
वह रविवार को लंदन से एक वीडियो लिंक के माध्यम से पाकिस्तानी विपक्षी दलों के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
शरीफ ने कहा अब पाकिस्तान को एफएटीएफ जैसे प्लेटफार्मों द्वारा तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश के शर्म से निपटना होगा. वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) का जिक्र कर रहे थे, जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंस का मुकाबला करने के लिए काम करने वाला ग्लोबल वाचडॉग है.
शरीफ का बयान ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान अगले महीने होने वाली बैठक में एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्टेड किए जाने से बचने की कोशिश कर रहा है.
फरवरी में एफएटीएफ की बैठक में, पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण मानदंडों का पालन करने के लिए अतिरिक्त चार महीने का समय लिया था, लेकिन चेतावनी दी गई थी कि अगर यह अनुपालन करने में विफल रहा तो उसे कालीसूची में डाल दिया जाएगा.
एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान को उसी श्रेणी में रखा जाएगा, जिसमें ईरान और उत्तर कोरिया को रखा गया है. इसका मतलब यह होगा कि वह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से कोई ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगा. इससे अन्य देशों के साथ वित्तीय डील करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.