इस्लामाबाद: पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सिंध सरकार की एक याचिका खारिज कर दी जिसमें उच्च न्यायालय के फैसले को स्थगित करने की मांग की गई थी. उच्च न्यायालय ने अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्या मामले में अल-कायदा के आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख और उसके तीन सहयोगियों को दी गई सजा के फैसले को पलट दिया था.
‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के दक्षिण एशिया के ब्यूरो प्रमुख 38 वर्षीय डैनियल पर्ल 2002 में पाकिस्तान में जब देश की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई और अल-कायदा के बीच कथित संबंधों की खबर को लेकर कुछ तथ्य जुटा रहे थे तभी उनका अपहरण कर लिया गया और उनका सिर कलम कर दिया गया था.
सिंध उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की पीठ ने ब्रिटेन में जन्मे 46 वर्षीय अल-कायदा के आतंकवादी के मौत की सजा को दो अप्रैल को पलट दिया था. 2002 में पर्ल के अपहरण और हत्या मामले में उसे सजा सुनाई गई थी। वह पिछले 18 वर्षों से जेल में है.
अदालत ने उसके तीन सहयोगियों -- फहाद नसीम, सलमान साकिब और शेख आदिल को भी बरी कर दिया, जो मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। चारों दोषियों द्वारा 18 वर्ष पहले दायर अपील पर पीठ ने यह फैसला सुनाया.
सिंध की सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी और दो मई को मारे गए पत्रकार के अभिभावकों ने भी दोषियों को बरी करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की.
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने खबर दी कि उच्चतम न्यायालय ने सिंध उच्च न्यायालय के फैसले को स्थगित करने की सिंध सरकार की याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया और कहा कि याचिका में अप्रासंगिक धाराएं हैं.
न्यायमूर्ति मंजूर मलिक ने कहा कि सबसे पहले यह साबित किया जाना चाहिए कि डैनियल पर्ल का अपहरण हुआ था। साक्ष्य से स्पष्ट किया जाना चाहिए कि जिसका अपहरण हुआ, वह डैनियल पर्ल था. सिंध सरकार का दावा है कि षड्यंत्र रावलपिंडी में रचा गया. रावलपिंडी में जो षड्यंत्र हुआ उसे भी साक्ष्यों से साबित किया जाना चाहिए.