इस्लामाबाद : पाक की रेटिंग के संबंध में एफएटीएफ से संबद्ध एक क्षेत्रीय समूह ने कहा है कि पाक ने आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने की दिशा में कोई खास प्रगति नहीं की है. यह घटनाक्रम वैश्विव धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाले पेरिस स्थित संगठन एफएटीएफ की होने वाली बैठक से कुछ हफ्ते पहले हुआ है.
'डॉन न्यूज' की रिपोर्ट में बताया गया है कि एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) ने पाकिस्तान के परस्पर मूल्यांकन पर पहली फोलो-अप रिपोर्ट जारी की है, जिसमें रेखांकित किया गया है कि धन शोधन रोधी और आतंकवाद के वित्तपोषण से मुकाबला (एएमएल/सीएफटी) की प्रणाली की प्रभावशीलता पर एफएटीएफ की 40 सिफारिशों पर देश की प्रगति काफी हद तक अपरिवर्तित रही है. चार क्षेत्रों में सिफारिशों का पालन नहीं किया गया है जबकि 25 अनुशंसाओं का आंशिक पालन हुआ है तो नौ सिफारिशों का मुख्यतः पालन हुआ है.
एपीजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की 40 सिफारिशों में से केवल दो पर पूर्ण अनुपालन में सुधार किया है.
एपीजी ने 12 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तान 'एनहान्स्ड फोलो-अप' की सूची में रहेगा और एएमएल / सीएफटी उपायों के कार्यान्वयन को दृढ़ करने की प्रगति पर एपीजी को रिपोर्ट करना जारी रखेगा.
एपीजी परस्पर मूल्यांकन एक समीक्षा प्रणाली है जो तय करती है कि क्या कोई देश धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर अनुपालन मानकों को पूरा कर रहा है या नहीं.
परस्पर मूल्यांकन रिपोर्ट जमा करने के बाद, एपीजी के सदस्य तय करते हैं कि किसी सदस्य को 'रेगुलर या एनहान्स्ड फोलो-अप' सूची में रखना है.
एपीजी ने रेखांकित किया है कि पाकिस्तान ने धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित सिफारिशों पर कदम उठाए हैं लेकिन पुनः रेंटिंग को उचित ठहराने के लिए यह प्रगति पर्याप्त नहीं है.
पिछले साल आंशिक रूप से अनुपालन की एपीजी की घोषणा के बाद तीन क्षेत्रों में पाकिस्तान ने पुनः रेटिंग का अनुरोध किया था. एक क्षेत्र के लिए आग्रह को स्वीकार कर लिया गया था जबकि दो क्षेत्रों में अनुरोध को अपर्याप्त प्रगति के कारण खारिज कर दिया गया था.
पिछले साल अगस्त में 41 सदस्यीय एपीजी ने अक्टूबर 2018 तक सामान्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मानकों को पूरा करने में तकनीकी कमियां को लेकर पाकिस्तान के दर्जे को 'रेगुलर फोलो-अप' से घटाकर 'एनहान्स्ड फोलो-अप' में कर दिया था.
'एनहान्स्ड फोलो-अप' सुधार की एक गहन प्रक्रिया है जो एएमएल / सीएफटी प्रणालियों में महत्वपूर्ण कमियां (तकनीकी अनुपालन या प्रभावशीलता) करने वाले सदस्यों से संबंधित है.
एपीजी की रिपोर्ट 21-23 अक्टूबर को एफएटीएफ की डिजिटल माध्यम से होने वाली पूर्ण बैठक से पहले आई है. एफएटीएफ की बैठक में वैश्विक प्रतिबद्धताओं और धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ लड़ाई पर मानकों को पूरा करने के लिए इस्लामाबाद के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर पाकिस्तान को 'ग्रे सूची' में बनाए रखने या निकालने पर फैसला होगा.
एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को अपनी 'ग्रे सूची' में डाल दिया था और इस्लामाबाद से कहा था कि वह 2019 के अंत तक धन शोधन और आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने के लिए कार्रवाई योजना को लागू करे. कोविड-19 महामारी के कारण इसकी समयसीमा को बढ़ा दी गई है.
कर्ज में डूबा पाकिस्तान एफएटीएफ की 'ग्रे सूची' से निकलने की कोशिश कर रहा है. इसी कड़ी में उसने अगस्त में 88 प्रतिबंधित आतंकी सगंठनों और उनके सरगनों पर आर्थिक पाबंदियां लगा दी थीं. उनमें 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड एवं जमात उद दावा का प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मौलाना मसूद अजहर और अडंरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम शामिल हैं.
पाकिस्तान धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ अपनी 27 सूत्री कार्रवाई योजना लागू करने में 13 बार चूक चुका है. फरवरी में एफएटीएफ ने उसे चार महीने का और वक्त दिया था. वहीं जून की बैठक में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाए रखने का फैसला किया था.