काठमांडू : नेपाल के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को मजबूर हुए के पी शर्मा ओली ( K P Sharma Oli ) ने मंगलवार को न्यायालय पर विपक्षी दलों के पक्ष में 'जानबूझकर' निर्णय सुनाने का आरोप लगाया और कहा कि इसका देश में बहुदलीय संसदीय प्रणाली पर 'दीर्घकालिक प्रभाव' पड़ेगा.
राष्ट्र को संबोधित करते हुए, 69 वर्षीय ओली ने यह भी कहा कि 'लोगों की पसंद' होने के बावजूद, वह पद से इस्तीफा दे रहे हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने उनकी जगह नेपाली कांग्रेस प्रमुख और विपक्ष के नेता शेर बहादुर देउबा (Opposition leader Sher Bahadur Deuba) को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने का आदेश दिया है.
ओली ने नेपाली भाषा में कहा, 'खेल खेलना खिलाड़ियों का कर्तव्य है. रेफरी निष्पक्ष खेल बनाए रखने के लिए होता है, न कि किसी एक टीम को जीतने में मदद करने के लिए.’’ उन्होंने शीर्ष अदालत पर विपक्षी दलों के पक्ष में फैसला 'जानबूझकर' सुनाने का आरोप लगाया.
नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को निर्देश दिया था कि नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा को मंगलवार तक प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए और पांच महीनों में दूसरी बार भंग प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया.