जकार्ता : म्यांमार के उत्तरी काचिन राज्य में विस्थापित लोगों के शिविरों में रह रहे किसान हर साल बरसात के मौसम से पहले अपने गांवों में लौट जाते थे, जहां से वे भागे थे और साल भर पेट पालने के लिए वहां फसलें उगाते थे, लेकिन इस बार सैन्य तख्तापलट के कारण स्थिति पहले की तरह नहीं है.
बरसात का मौसम करीब है, लेकिन फरवरी में सेना द्वारा किए गए तख्तापलट के बाद किसान अपने अस्थायी घरों से बमुश्किल ही निकल रहे हैं और शिविरों को छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. उनका कहना है कि वे म्यांमार सेना या उनसे संबद्ध मिलिशिया के सैनिकों से टकराने का जोखिम नहीं ले सकते.
एक किसान लू लू ऑन्ग ने कहा, 'हम तख्तापलट के बाद से कहीं नहीं जा सकते और न ही कुछ कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हर रात, हम अपने शिविरों के ऊपर से बेहद करीब से लड़ाकू विमानों की आवाजें सुनते हैं।'