यरूशलम : इजराइल में रविवार को नई सरकार शपथ लेने जा रही है जिसके बाद प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू 12 साल के रिकॉर्ड शासन के बाद विपक्ष में बैठेंगे. इसी के साथ पिछले दो वर्षों में चार बार चुनाव होने के बाद उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट का भी समाधान हो जाएगा.
अति राष्ट्रवादी पार्टी के अध्यक्ष नफ्ताली बेनेट प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. लेकिन अगर वह इस पद पर बने रहना चाहते हैं तो उन्हें दक्षिणपंथी, वामपंथी और उदारवादी पार्टियों के भारी-भरकम गठबंधन को बरकरार रखना होगा.
सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होकर इतिहास रच रहे एक छोटे अरब गुट समेत आठ दल नेतन्याहू का विरोध करने और नए सिरे से चुनाव कराने के खिलाफ एकजुट हुए हैं, लेकिन बहुत कम मुद्दों पर सहमत हैं. उनके एक मामूली एजेंडा पर आगे बढ़ने की संभावना है जिसका मकसद फिलस्तीनियों के साथ तनाव कम करने और बिना कोई बड़ी पहल शुरू किए अमेरिका के साथ अच्छे संबंध बरकरार रखने का है.
भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे नेतन्याहू संसद में सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष बने हुए हैं और समझा जाता है कि नई सरकार का पुरजोर विरोध करेंगे. अगर एक भी गुट पीछे हटता है, तो नई सरकार अपना बहुमत गंवा देगी और सरकार गिरने का जोखिम पैदा हो जाएगा, जिससे नेतन्याहू को सत्ता में लौटने का मौका मिल सकता है.
नई सरकार उतार-चढ़ाव भरे दो वर्षों में चार बार चुनाव होने, पिछले महीने गाजा के साथ 11 दिन तक युद्ध चलने और देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाले कोरोना वायरस प्रकोप के बाद सामान्य हालातों का वादा कर रही है. हालांकि, कोरोना वायरस के प्रकोप को सफल टीकाकरण अभियान के बाद काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है.