दिल्ली

delhi

ETV Bharat / international

नेपाल सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का एकीकरण रद्द

नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने ओली और प्रचंड की पुरानी पार्टियों का एकीकरण रद्द कर दिया है. कोर्ट ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की कमान ऋषिराम कत्याल को सौंपा है.

nepal
nepal

By

Published : Mar 7, 2021, 8:25 PM IST

काठमांडू :नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अगुआई वाली कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्क्सिस्टलीनिस्ट) और पुष्पा कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के एकीकरण को रद्द कर दिया है.

सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन (माओवादी सेंटर) 2017 के आम चुनावों में गठबंधन की जीत के बाद एकीकृत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी बनाने के लिए मई 2018 में विलय कर दिया गया.

रविवार को न्यायमूर्ति कुमार रेगी और बम कुमार श्रेष्ठ की शीर्ष अदालत की खंडपीठ ने ऋषिराम कत्याल को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की प्रामाणिकता देते हुए फैसला जारी किया, जिन्होंने चुनाव आयोग (ईसी) में पार्टी को उनके नाम से पहले पंजीकृत किया था. द काठमांडू पोस्ट अखबार ने बताया कि ओली और प्रचंड की अगुआई में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) का गठन हुआ था.

कटल ने मई, 2018 में ओली और प्रचंड के तहत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) को पंजीकृत करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी थी.

पीठ ने कहा कि एक नई पार्टी का चुनाव आयोग में पंजीकरण नहीं किया जा सकता है जब उसके पास पहले से ही समान नाम वाली पार्टी पंजीकृत हो.

कट्टेल के वकील दंडपाणि पॉडेल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में एक फैसला सुनाया है, हमने केस जीत लिया है.

अदालत ने कहा कि तब सीपीएन-यूएमएल और फिर सीपीएन (माओवादी सेंटर) पूर्व-विलय की स्थिति में लौट आएंगे और अगर वे विलय करने वाले थे, तो उन्हें चुनाव आयोग के अनुसार राजनीतिक दलों के अधिनियम के अनुसार आवेदन करना चाहिए.

शीर्ष अदालत के फैसले के साथ, संसद में एनसीपी की 2017 में संसदीय चुनाव के बाद एनसीपी में विलय से पहले यूएमएल और माओवादी केंद्र द्वारा जीते गए सीटों की संख्या के आधार पर एनसीपी की 174 सीटों को विभाजित किया जाएगा.

चुनाव के बाद दोनों दलों को एकजुट करने के लिए एक समझौते के साथ चुनावी गठबंधन किया गया था. 2017 के चुनावों में, यूएमएल ने 121 और माओवादी सेंटर ने 53 सीटें जीती थीं.

प्रचंड के साथ सत्ता के लिए रस्साकशी के बीच ओली को चीन समर्थक झुकाव के लिए जाना जाता है. सत्तारूढ़ राकांपा ओली के 275 सदस्यीय सदन को भंग करने के कदम से अलग हो गई.

ओली और प्रतिद्वंद्वी समूह दोनों नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को नियंत्रित करने का दावा करते हैं और इस मुद्दे को चुनाव आयोग में विवादित किया जा रहा है. एडवोकेट पॉडेल ने 7 दिसंबर, 2018 को कटल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें मांग की गई थी कि ओली और प्रचंड के नेतृत्व वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) को राजनीतिक दलों के पंजीकरण खंड 6 (ई) के रूप में हटा दिया जाए.

संयुक्त पीठ ने 69 वर्षीय ओली और 66 वर्षीय प्रचंड को एक बार फिर चुनाव आयोग (ईसी) को अपनी पार्टी के लिए एक अलग नाम का प्रस्ताव देते हुए एक आवेदन दायर करने का अवसर दिया है.

पढ़ेंःयमन : सुरक्षा बलों और हूती विद्रोहियों में संघर्ष, 100 से ज्यादा की मौत

ABOUT THE AUTHOR

...view details