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नेपाली राष्ट्रपति ने सात मार्च को संसद के निचले सदन का सत्र आहूत किया

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Published : Mar 1, 2021, 9:53 PM IST

नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सात मार्च को नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा का सत्र आहूत किया है. इस संबंध में सोमवार को नोटिस जारी किया गया.

नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी
नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी

काठमांडू : नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सात मार्च को नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा का सत्र आहूत किया है. इस संबंध में सोमवार को नोटिस जारी किया गया.

उल्लेखनीय है कि नेपाल के उच्चतम न्यायलय ने एक ऐतिहासिक फैसले में निचले सदन को बहाल करने का आदेश दिया था.

राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी नोटिस के अनुसार राष्ट्रपति भंडारी ने नेपाली संविधान के अनुच्छेद 93 (1) के अनुसार, सरकार की सिफारिश पर सदन का सत्र बुलाया है.

नोटिस के अनुसार, 275 सदस्यीय निचले सदन की बैठक शाम चार बजे शुरू होगी.

इससे पहले प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने 20 दिसंबर को सदन को भंग करने की सिफारिश कर दी थी.

प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने पिछले हफ्ते संसद के निचले सदन को भंग करने के ओली सरकार के असंवैधानिक फैसले को रद्द कर दिया था.

न्यायालय ने सरकार को अगले 13 दिनों के भीतर सदन का सत्र बुलाने का आदेश दिया था.

नेपाल में 20 दिसंबर को उस समय राजनीतिक संकट पैदा हो गया था जब सत्ता के लिए सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर चल रही खींचतान के बीच राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर सदन को भंग कर दिया था. इसके साथ ही उन्होंने 30 दिसंबर तथा 10 मई को नए चुनाव कराने की घोषणा की.

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एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री ओली ने रविवार को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाले धड़े को चुनौती दी थी कि अगर वे हटा सकते हैं, तो उन्हें शीर्ष पद से हटा दें.

ओली ने कहा था कि अगर आप हटा सकते हैं, तो मुझे हटा दें. अगर मुझे अपदस्थ किया जाता है, तो मैं अगले चुनाव में दो-तिहाई बहुमत से जीत हासिल करुंगा.

ओली को सत्ता से हटाने के लिए प्रचंड नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी से समर्थन हासिल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं.

ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने पिछले हफ्ते कहा था कि प्रधानमंत्री तत्काल इस्तीफा नहीं देंगे और संसद का सामना कर न्यायालय के फैसले को लागू करेंगे.

न्यायालय के फैसले के बाद ओली पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ गया है.

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