काठमांडू : भारत और चीन के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकने वाले कार्यक्रम संचालित करने से अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को हतोत्साहित करने के लिए नेपाल एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रहा है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.
सीमा पार आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियां भारत के लिए बड़ी चिंता का बड़ा कारण बने हुए हैं, जबकि चीन ने तिब्बतियों की गतिविधियों के बारे में अतीत में नेपाल से शिकायत की है.
काठमांडू पोस्ट की खबर में कहा गया है कि समाज कल्याण परिषद् द्वारा तैयार की जा रही रणनीतिक नीति के मसौदे के मुताबिक संबंधों को संतुलित रखने की नेपाल की विदेश नीति के आधार पर उन परियोजनाओं का क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है, जिसका दोनों पड़ोसी देशों में से कोई देश विरोध करता हो.
मसौदा के मुताबिक, 'नेपाल एक भूआबद्ध (सभी ओर से जमीन से घिरा हुआ) देश है और उसके उत्तर और दक्षिण में दो बड़ी आबादी वाले देश (भारत और चीन) हैं.'
यह नीति एनजीओ को वैसे कार्यक्रम संचालित करने से हतोत्साहित करेगी, जो नेपाल के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
परिषद् के अधिकारियों ने कहा कि नीति अब भी मसौदा के स्तर पर है और इसके कुछ प्रावधानों के संबंध में एनजीओ पंजीकरण पर नया कानून अहम होगा.
परिषद् में सूचना अधिकारी दुर्गा प्रसाद भट्टराई ने कहा कि प्रस्तावित नीति का लक्ष्य एनजीओ की गतिविधियों, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़ी चिंताओं को दूर करना होगा.
पोस्ट ने भट्टराई को उद्धृत करते हुए कहा, 'प्रस्तावित नीति का उद्देश्य इस बात पर जोर देना है कि नेपाल सरकार, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में, मदरसों एवं मठों के निर्माण के जरिए अंतरराष्ट्रीय एनजीओ की रणनीतिक गतिशीलता को लेकर चिंतित है.'