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Published : Oct 6, 2020, 10:42 AM IST

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विशेषज्ञ समिति ने नेपाल सरकार को सौंपी रिपोर्ट, भारत से चर्चा को तैयार

नेपाल द्वारा विवादित नक्शा पेश किए जाने के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दा बना हुआ है. नेपाल ने उत्तराखंड के तीन क्षेत्रों पर अपना दावा किया था. इस मुद्दे को लेकर ही नेपाल ने एक विशेषज्ञ समिति भी गठित की. अब इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है.

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नेपाल की विशेषज्ञ समिति ने भारत के साथ सीमा मुद्दे से संबंधित रिपोर्ट सरकार को सौंपी

काठमांडू : भारत के साथ सीमा मुद्दे को लेकर नेपाल सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञवाली को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. आधिकारिक सूत्रों ने यहां यह जानकारी दी. विदेश मंत्री ज्ञवाली ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच वर्ष 1816 में हुई सुगौली की संधि को भारत के साथ नेपाल की सीमा के सीमांकन का मुख्य आधार माना गया है. उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार किसी भी समय भारतीय पक्ष से चर्चा करने को तैयार है.

नेपाल ने भारत के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन क्षेत्रों कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर अपना दावे पेश करने से संबंधित ऐतिहासिक साक्ष्य जुटाने के मद्देनजर इस समिति का गठन किया था.

भारत की ओर से नवंबर 2019 में नया नक्शा प्रकाशित करने के करीब छह महीने बाद मई में नेपाल ने अपने देश का नया संशोधित राजनीतिक एवं प्रशासनिक नक्शा जारी किया था, जिसमें नेपाल ने उत्तराखंड के तीन क्षेत्रों पर अपना दावा जताया था.

भारत के तीन क्षेत्रों पर अपना दावा जताने वाले इस नक्शे को नेपाल की संसद ने मंजूर कर दिया था.

भारत ने इसे पहले ही खारिज करते हुए क्षेत्र में नेपाल द्वारा की गई 'कृत्रिम वृद्धि' की कोशिश करार दिया था.

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विदेश मंत्री ज्ञवाली ने संवाददाताओं से कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच वर्ष 1816 में हुई सुगौली की संधि को भारत के साथ नेपाल की सीमा के सीमांकन का मुख्य आधार माना गया है.

उन्होंने कहा, 'समिति के गठन का उद्देश्य सीमा वार्ता में नेपाल के पक्ष को तैयार करना था और उन्होंने इसे बखूबी अंजाम दिया.'

ज्ञवाली ने कहा कि समिति ने नेपाल के दावे को साबित करने के संबंध में कई साक्ष्य एकत्र किए हैं.

उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार किसी भी समय भारतीय पक्ष से चर्चा करने को तैयार है.

समिति ने अपने अध्ययन के दौरान इतिहासकारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, राजनयिकों, सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों, नौकरशाहों, राजनेताओं और पत्रकारों सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित हस्तियों का साक्षात्कार किया.

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