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नेपाल : सत्तारूढ़ पार्टी की स्थाई समिति की बैठक दो दिनों के लिए टली

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी स्थायी समिति की बैठक सातवीं बार टाल दी है. बता दें एक अनौपचारिक बैठक के दौरान पार्टी के शीर्ष नेताओं ने मतभेदों को दूर करने की कवायद में दो दिनों के लिए बैठक टालने का फैसला किया. पढ़ें विस्तार से...

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Published : Jul 19, 2020, 6:28 PM IST

काठमांडू : नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी शक्तिशाली स्थायी समिति की अहम बैठक रविवार को एक बार फिर टाल दी. यह बैठक ऐसे समय में स्थगित हुई है जब शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच सत्ता में साझेदारी पर बातचीत के प्रयास तेज कर दिए हैं.

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार स्थायी समिति की बैठक रविवार को दोपहर तीन बजे होनी थी लेकिन इसे मंगलवार को सुबह 11 बजे तक के लिए टाल दिया गया है.

यह सातवीं बार है जब सत्तारूढ़ पार्टी ने अपनी स्थायी समिति की बैठक टाल दी है.

स्थायी समिति के सदस्य गणेश शाह ने बताया कि रविवार सुबह हुई एक अनौपचारिक बैठक के दौरान पार्टी के शीर्ष नेताओं ने मतभेदों को दूर करने की कवायद में दो दिनों के लिए बैठक टालने का फैसला किया.

45 सदस्यीय शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक सबसे पहले 24 जून को बुलाई गई थी जब प्रधानमंत्री ओली ने आरोप लगाया था कि पार्टी के कुछ नेता तीन भारतीय क्षेत्रों को नए राजनीतिक नक्शे में शामिल करने के बाद उन्हें सत्ता से बाहर करने के लिए दक्षिणी पड़ोसी के साथ मिल गए हैं.

प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे इस्तीफा मांग रहे हैं न कि भारत मांग रहा है. उन्होंने ओली को अपने आरोप के समर्थन में सबूत दिखाने के लिए कहा.

पूर्व प्रधानमंत्री 'प्रचंड' समेत एनसीपी के शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग की है. उनका कहना है कि ओली की हालिया भारत विरोधी टिप्पणी 'न तो राजनीतिक रूप से सही थी और न ही राजनयिक रूप से उचित थी.'

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सूत्रों ने बताया कि ओली और प्रचंड ने अपने बीच मतभेदों को दूर करने के लिए हाल के हफ्तों में कम से कम आठ बैठकें की. लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा एक व्यक्ति एक पद की शर्त मंजूर न करने के कारण बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकल सका.

शाह ने बताया कि पार्टी ने अपनी 441 सदस्यीय केंद्रीय कार्यकारिणी समिति (सीडब्ल्यूसी) की अहम बैठक बुलाने का भी फैसला किया है.

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के भाग्य का फैसला अब सीडब्ल्यूसी की बैठक में होगा, जो अगले हफ्ते हो सकती है.

उन्होंने बताया कि सीडब्ल्यूसी को पार्टी में 'एक व्यक्ति, एक पद' की औपचारिक मांग पर फैसला लेने का अधिकार है, जैसा कि प्रचंड के नेतृत्व वाला बागी गुट मांग कर रहा है.

रविवार की स्थायी समिति की बैठक में सीडब्ल्यूसी की बैठक की तारीख तय होने की संभावना थी.

सूत्रों ने बताया कि शनिवार को 68 वर्षीय ओली मुद्दे को हल करने के लिए पार्टी का समय से पहले आम सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव रखा.

सीपीएन के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि प्रचंड के नेतृत्व वाले धड़े के ओली पर इस्तीफे का दबाव बढ़ाने के लिए केंद्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाने की मांग के साथ ही प्रधानमंत्री ने नवंबर में आम सम्मेलन आयोजित कराने का प्रस्ताव रखा है.

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पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चूंकि ओली के पास स्थायी समिति और सीडब्ल्यूसी दोनों में बहुमत नहीं है तो वह बैठकों को टालने की कोशिश कर रहे हैं.

सीपीएन नेता ने बताया कि ओली ने अपने कार्यकाल की अवधि बढ़ाने के लिए ही जल्दी आम सम्मेलन बुलाने का विचार रखा है.

रविवार सुबह प्रचंड के आवास पर हुई अनौपचारिक बैठक में वरिष्ठ नेता माधव नेपाल, झालानाथ खनाल और बामदेव गौतम ने आम सम्मेलन बुलाने से इनकार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय संकट के इस दौर में यह संभव नहीं है.

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो धड़ों के बीच मतभेद उस समय बढ़ गये जब प्रधानमंत्री ने एकतरफा फैसला करते हुए संसद के बजट सत्र का समय से पहले ही सत्रावसान करने का फैसला किया. सत्ता में हिस्सेदारी के मुद्दे पर एनसीपी के एक धड़े का नेतृत्व ओली और दूसरे धड़े का नेतृत्व पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष 'प्रचंड' कर रहे हैं.

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