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हांगकांग : सुरक्षा कानून से लोकतंत्र समर्थकों को चीन प्रत्यर्पित किए जाने का खतरा

इंटरनेशनल क्रिश्चियन कंसर्न के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत लोकतंत्र समर्थकों और हांगकांग के मुखर पादरियों को चीन में प्रत्यर्पित करने की कोशिश की जा सकती है, क्योंकि बीजिंग उन्हें अपने शासन के लिए खतरा मानता है.

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राष्ट्रीय सुरक्षा कानून

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Published : Jun 24, 2020, 8:27 AM IST

हांगकांग : चीन द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर हांगकांग के लोगों में असुरक्षा का माहौल है. इस बीच अमेरिकी क्रिश्चियन वॉचडॉग ने कहा कि चीन द्वारा हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने से लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं और धर्म गुरुओं सहित पादरियों को ट्रायल के लिए प्रत्यर्पित किए जाने का खतरा है.

इंटरनेशनल क्रिश्चियन कंसर्न (आईसीसी) के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ऐसे कानूनों के तहत लोकतंत्र समर्थकों और हांगकांग के मुखर पादरी जैसे कार्डिनल जोसेफ जेन (Cardinal Joseph Zen) और सहायक बिशप जोसेफ हा ची-शिंग (Joseph Ha Chi-shing) को चीन में प्रत्यर्पित करने की कोशिश की जा सकती है, क्योंकि बीजिंग उन्हें अपने शासन के लिए खतरा मानता है.

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अन्य सैकड़ों नेता या ईसाई संगठन भी ऐसी कार्रवाई का सामना कर सकते हैं, जिन्होंने हांगकांग में चीनी शासन के खिलाफ आवाज उठाई. ऐसा इसलिए क्योंकि चीन ने कहा है कि वह पिछले साल जून में हांगकांग में स्वतंत्रता के लिए हुए आंदोलन को आतंकवादी गतिविधि और राजद्रोह के रूप में मानता है.

चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी द्वारा तीन दिवसीय बैठक में चर्चा के बाद पिछले सप्ताह चीनी अधिकारियों ने हांगकांग के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की जानकारी साझा की और इसका विवरण दिया था.

बता दें, इस विवादास्पद कानून में छह चैप्टर्स और 66 अनुच्छेद शामिल हैं. चैप्टर्स में हांगकांग की राष्ट्रीय सुरक्षा, अपराधों और दंड, अधिकार क्षेत्र और कानून प्रवर्तन आदि मुद्दे शामिल हैं.

आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून नागरिक स्वतंत्रता को नष्ट कर देगा, जोकि हांगकांग निवासियों को 'एक देश, दो प्रणाली' समझौते के तहत मिलती है. बता दें, 1997 में ब्रिटिश सरकार ने हांगकांग को चीन को वापस सौंप दिया था.

मालूम हो कि हांगकांग में पिछले एक साल से लोकतंत्र समर्थक आंदोलन जारी हैं. चीन इन प्रदर्शनों को दबाना चाहता है. वहीं नए कानून के तहत प्रदर्शनकारियों और अपराधियों को ट्रायल के लिए चीन प्रत्यर्पित किए जाने की अनुमति दी गई है.

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