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चीन की आतंकी करतूतों से परेशान म्यांमार ने दुनिया से मांगी मदद

भारत में शांति व्यवस्था भंग करने की मंशा से चीन अब आतंकवादियों की मदद लेने से भी गुरेज नहीं कर रहा है. इसी क्रम में वह म्यांमार के आतंकी संगठनों को अत्याधुनिक हथियार की आपूर्ति कर रहा है. चीन के इस कदम पर म्यांमार आर्मी चीफ ने ड्रैगन को चेतावनी दी है. इसके साथ ही उन्होंने इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की भी मांग की.

China supplying weapons to Arakan Army
प्रतीकात्मक फोटो.

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Published : Jul 2, 2020, 8:12 PM IST

नाएप्यीडॉ (म्यांमार) : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले माह भारत व चीनी सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत के खिलाफ चीन हर हथकंडा अपना रहा है. भारत में शांति व्यवस्था भंग करने की मंशा से वह अब आतंकवादियों की मदद लेने से भी गुरेज नहीं कर रहा है. इसी क्रम में वह म्यांमार के आतंकी संगठनों को पैसे और हथियार की आपूर्ति कर रहा है.

चीन द्वारा नाएप्यीडॉ के आतंकवादी समूह अराकान सेना को मदद की जा रही है. सैन्य सूत्रों से पता चला है कि चीन अराकान सेना को तकरीबन 95 फीसदी आर्थिक सहायता कर रहा है.

सैन्य सूत्रों ने बताया कि अराकान सेना के पास लगभग 50 सतह से हवा में मार करने वाली मैनपैड्स मिसाइलें हैं. चीन की इस करतूत पर म्यांमार आर्मी चीफ मिन आंग ह्लाइंग ने सख्त लहजे में ड्रैगन को चेतावनी दी है.

उन्होंने चीन से कहा है कि वह यहां के आतंकी समूहों को हथियार न दे. आर्मी चीफ ने इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की भी मांग की.

एक ऑस्ट्रेलियाई अकादमिक ने कहा कि एशिया में चीन इस समय एक बहुआयामी खेल खेल रहा है. इतना ही नहीं वह भारत को कमजोर करना चाहता है. पहले से ही भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष चल रहा है. ऐसे में भारत म्यांमार का नया दुश्मन नहीं बनना चाहता.

पढ़ें :म्यांमार के रखाइन में इंटरनेट ब्लैकआउट का एक साल पूरा

अराकान सेना म्यांमार के रखाइन राज्य में सबसे बड़ा विद्रोही समूह है और राजनीतिक दल, यूनाइटेड लीग ऑफ अराकान का सशस्त्र विंग है.

दक्षिण पूर्व एशिया में म्यांमार चीन का सबसे करीबी पड़ोसी माना जाता है. रूस के एक चैनल को दिए गए साक्षात्कार में म्यांमार आर्मी चीफ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने कहा कि उनकी धरती पर सक्रिय आतंकी समूह के पीछे मजबूत ताकतें हैं. उन्होंने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भी मांग की.

जानकारी के मुताबिक चीन की इस हरकत के पीछे उसका स्वार्थ है. चीन चाहता है कि म्यांमार उसके बेल्ट एंड रोड प्रोजक्ट की कई परियोजनाओं को मंजूर करे. इसके लिए म्यांमार सरकार पर दबाव बनाने के लिए वह इन आतंकी समूहों को हथियार देता है जबकि म्यांमार इसमें शामिल होने से इनकार करता रहा है.

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