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बलोचिस्तान में हुए विस्फोट में पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना की प्रतिमा नष्ट - Jinnah

अशांत बलोचिस्तान प्रांत के तटीय शहर ग्वादर में बलोच आतंकवादियों ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammad Ali Jinnah) की एक प्रतिमा को बम धमाके में नष्ट कर दिया. बता दें कि जिन्ना 1913 से लेकर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान की स्थापना तक ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के नेता रहे. इसके बाद 1948 में निधन होने तक वह पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल रहे.

जिन्ना की प्रतिमा नष्ट
जिन्ना की प्रतिमा नष्ट

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Published : Sep 27, 2021, 3:28 PM IST

कराची : पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की प्रतिमा (Mohammad Ali Jinnah Statue) को नष्ट किए जाने का मामला सामने आया है. 'डॉन' समाचार पत्र में सोमवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक, सुरक्षित क्षेत्र माने जाने वाले मरीन ड्राइव पर जून में स्थापित की गई प्रतिमा को रविवार की सुबह प्रतिमा के नीचे विस्फोटक रखकर उड़ा दिया गया. खबर के अनुसार विस्फोट में प्रतिमा पूरी तरह से नष्ट हो गई.

इस खबर के अलावा बीबीसी उर्दू की खबर के अनुसार, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बलोच रिपब्लिकन आर्मी के प्रवक्ता बबगर बलोच ने ट्विटर पर विस्फोट की जिम्मेदारी ली है.

प्रतिमा विस्फोटक लगाकर उड़ाई
बीबीसी उर्दू ने ग्वादर के उपायुक्त मेजर (सेवानिवृत्त) अब्दुल कबीर खान के हवाले से कहा कि मामले की उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि विस्फोटक लगाकर जिन्ना की प्रतिमा को नष्ट (Jinnah Statue Destroyed) करने वाले आतंकवादी पर्यटकों के रूप में क्षेत्र में घुसे थे. उनके मुताबिक अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन एक-दो दिन में जांच पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने कहा, 'हम मामले को सभी कोणों से देख रहे हैं और जल्द ही दोषियों को पकड़ लिया जाएगा.'

पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना (फोटो सौजन्य- aninews.in)

बलूचिस्तान के पूर्व गृह मंत्री और मौजूदा सीनेटर सरफराज बुगती ने ट्वीट किया, 'ग्वादर में कायद-ए-आजम की प्रतिमा को गिराना पाकिस्तान की विचारधारा पर हमला है. मैं अधिकारियों से अपराधियों को उसी तरह से दंडित करने का अनुरोध करता हूं जैसे हमने जियारत में कायद-ए-आजम निवास पर हमला करने वालों को किया था..

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साल 2013 में, बलूच आतंकवादियों ने जियारत में 121 साल पुरानी इमारत में विस्फोट कर दिया था, जिसमें कभी जिन्ना रहा करते थे. बाद में इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया. तपेदिक से पीड़ित होने के बाद जिन्ना ने अपने जीवन के अंतिम दिन वहीं बिताए थे.

(पीटीआई-भाषा)

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