कोलंबो : मालदीव के पर्यावरण मंत्री ने बुधवार को कहा कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित (limit global warming) करने में विफलता का मतलब मालदीव जैसे छोटे द्वीप के लिए सजा ए मौत (death sentence for small island nations) होगा, जिसमें उनकी आजीविका और संस्कृतियों का खात्मा भी शामिल है.
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों का कहना है कि लगभग सभी देशों ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते (Paris climate accord) पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य 19वीं शताब्दी के अंत में ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फ़ारेनहाइट) से ऊपर के स्तर तक सीमित करना था, और आदर्श रूप से 1.5 C (2.7 F) से अधिक नहीं था, लेकिन दुनिया पहले ही लगभग 1.1 C (2 F) गर्म कर चुकी है.
इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (Intergovernmental Panel on Climate Change) की एक रिपोर्ट में इस साल की शुरुआत में कहा गया था कि दुनिया में 2030 के दशक में 1.5 सी की वृद्धि होने की संभावना है.
मालदीव के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी मंत्री अमीनाथ शौना (Aminath Shauna) ने कहा कि हमारे लिए 1.5 डिग्री और 2 डिग्री के बीच का अंतर वास्तव में मौत की सजा है.