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मलेशिया में कोरोना वायरस को लेकर आपातकाल घोषित - प्रधानमंत्री मुहयिद्दीन यासीन

मलेशिया में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए आपातकाल घोषित किया गया है. प्रधानमंत्री मुहयिद्दीन ने आश्वासन दिया है कि कि यह आपातकाल सैन्य तख्तापलट नहीं है और इसमें कर्फ्यू नहीं लगाया जाएगा.

मलेशिया में कोरोना वायरस
मलेशिया में कोरोना वायरस

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Published : Jan 12, 2021, 10:33 PM IST

कुआलालंपुर :मलेशिया के नरेश ने मंगलवार को कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए आपातकाल पर मुहर लगा दी है, जिससे कम से कम अगस्त महीने तक संसद निलंबित रहेगी.

इससे संकटग्रस्त प्रधानमंत्री मुहयिद्दीन यासीन को पद से हटाने के लिए आम चुनाव करवाने के सभी प्रयासों पर रोक लग जाएगी और उन्हें राहत मिल जाएगी.

मुहयिद्दीन ने टेलीविजन पर अपने संबोधन में नागरिकों को आश्वासन दिया कि यह आपातकाल सैन्य तख्तापलट नहीं है और इसमें कर्फ्यू नहीं लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि एक अगस्त तक जारी रहने वाले आपातकाल के दौरान भी कमान असैन्य सरकार के हाथों में होगी. आपातकाल को अगस्त तक या उससे पहले तक जारी रखने के बारे में फैसला हालात को देखकर लिया जाएगा.

आपातकाल की घोषणा एकाएक ही की गई है. एक दिन बाद ही मलेशिया के सबसे बड़े शहर कुआलालंपुर, प्रशासनिक राजधानी पुत्रजया और पांच अत्यंत जोखिम वाले शहरों में लाखों लोग दो सप्ताह के लिए लगभग लॉकडाउन जैसी स्थिति का सामना करेंगे.

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब सत्तारूढ़ गठबंधन में सबसे बड़े दल यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ने मुहयिद्दीन से समर्थन वापस लेने की धमकी दी है ताकि समय से पहले आम चुनाव कराए जा सकें.

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मुहयिद्दीन ने कहा है कि देश की संसद और राज्य विधानसभाएं निलंबित रहेंगी और आपातकाल में किसी चुनाव की अनुमति नहीं होगी. उन्होंने कहा कि महामारी से राहत मिलने पर जब चुनाव कराना सुरक्षित होगा तब वह आम चुनाव कराएंगे.

सिंगापुर इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स में वरिष्ठ शोधकर्ता ओह एई सुन ने कहा कि अधिकतर लोग इस समय पाबंदियों की जरूरत को समझते हैं लेकिन, आपातकाल की घोषणा कुछ ज्यादा ही लगती है. यह स्पष्ट नहीं है कि इससे वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में कैसे मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि यह बहुत स्पष्ट तरीके से मुहयिद्दीन की ओर से उठाया गया राजनीतिक कदम है जो, सत्तारूढ़ गठबंधन में अपने प्रतिद्वंद्वियों तथा विपक्ष, दोनों से मिल रहीं राजनीतिक चुनौतियों को विफल करने के लिए उठाया गया है.

इससे पहले मलेशिया में 1969 में आपातकाल की घोषणा हुई थी. जब नस्ली दंगों में सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी. मलेशिया नरेश द्वारा आपातकाल की घोषणा को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है. इससे पहले नरेश सुल्तान अब्दुल्ला अहमद शाह ने अक्टूबर में मुहयिद्दीन के आपातकाल घोषित करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था.

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