पेशावर :मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के किसी भी स्कूल से अधिक इस मदरसे में कई तालिबानी नेता पढ़ाई कर चुके हैं. मदरसे के पूर्व छात्र अब अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं.
पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित मदरसे का अफगानिस्तान में व्यापक प्रभाव पड़ा है. मदरसा के पूर्व छात्रों ने तालिबान आंदोलन की स्थापना की और 1990 के दशक में अफगानिस्तान पर शासन किया. द न्यूयॉर्क टाइम्स में शुक्रवार को छपी रिपोर्ट के अनुसार मदरसे ने तर्क दिया है कि तालिबान को यह दिखाने का मौका दिया जाना चाहिए कि वे अपने खूनी तरीकों से आगे बढ़ गए हैं क्योंकि उन्होंने पहली बार दो दशक पहले अफगानिस्तान पर शासन किया था.
मदरसा के कुलपति रशीदुल हक सामी (Madrasa Vice Chancellor Rashidul Haque Sami) ने एनवाईटी से कहा कि दुनिया ने कूटनीतिक मोर्चे और युद्ध के मैदान दोनों पर अपनी जीत के माध्यम से देश को चलाने की उनकी क्षमताओं को देखा है. रिपोर्ट के मुताबिक सामी के पिता और सेमिनरी के दिवंगत चांसलर समीउल हक, जिनकी 2018 में इस्लामाबाद में उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी, को तालिबान के जनक के रूप में जाना जाता है.
मदरसा मिराज: ए कंटेम्परेरी हिस्ट्री ऑफ इस्लामिक स्कूल्स इन पाकिस्तान (Madrasa Miraj: A Contemporary History of Islamic Schools in Pakistan) के लेखक अजमत अब्बास ने कहा कि तालिबान नेताओं की मातृ संस्था होने के नाते, हक्कानिया को निश्चित रूप से उनका सम्मान मिलता है. खबर में कहा गया है कि सिराजुद्दीन हक्कानी (41) इसके पूर्व छात्र हैं और उन्होंने तालिबान के सैन्य प्रयासों का नेतृत्व किया.
अमेरिकी सरकार ने उनके सिर पर 50 लाख अमेरीकी डॉलर का इनाम रखा था और अब वह अफगानिस्तान के नए कार्यवाहक आंतरिक मंत्री हैं. वहीं नए विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी और उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी भी इसके पूर्व छात्र हैं. स्कूल प्रशासकों का कहना है कि न्याय मंत्री, अफगान जल और बिजली मंत्रालय के प्रमुख और कई गवर्नर, सैन्य कमांडर और न्यायाधीश भी हक्कानिया मदरसा से पढ़ाई कर चुके हैं.