दिल्ली

delhi

ETV Bharat / international

सदन को भंग करने का ओली का कदम असंवैधानिक था : न्यायमित्र - KP Oli

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के खिलाफ न्याय मित्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सदस्यों ने उच्चतम न्यायालय के सामने दलील दी कि प्रतिनिधि सभा को भंग करने का उनका कदम असंवैधानिक था.इस मामले की सुनवाई 23 दिसंबर से ही उच्चतम न्यायालय में जारी है. इस मामले की सुनवाई न्याय मित्र के अंतिम सदस्य की जिरह के बाद शुक्रवार को पूरी होनी थी.

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली

By

Published : Feb 20, 2021, 8:43 AM IST

काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के खिलाफ एक मामले में न्याय मित्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सदस्यों ने उच्चतम न्यायालय के सामने दलील दी कि प्रतिनिधि सभा को भंग करने का उनका कदम असंवैधानिक था. मीडिया में आई एक खबर से यह जानकारी मिली.

नेपाल में पिछले साल 20 दिसंबर को ओली ने चौंकाने वाला कदम उठाते हुए प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया, जिसकी वजह से देश में राजनीतिक संकट आ गया. ओली ने यह कदम ऐसे समय में उठाया जब उनके प्रतिद्वंद्वी पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और उनके बीच सत्ता की खींचातानी चल रही है. प्रंचंड के नेतृत्व में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े तबके ने 275 सदस्यों के सदन को भंग करने के कदम का विरोध किया.

पढ़ें : सत्ताधारी पार्टी के नेता समानांतर सरकार बनाने की कोशिश कर रहे : ओली


‘काठमांडू पोस्ट’ की खबर के मुताबिक इस मामले की सुनवाई 23 दिसंबर से ही उच्चतम न्यायालय में जारी है. इस मामले की सुनवाई न्याय मित्र के अंतिम सदस्य की जिरह के बाद शुक्रवार को पूरी होनी थी. न्यायमित्र के पांच सदस्यों में से एक वरिष्ठ वकील पूर्णमान शाक्य ने कहा कि नेपाल का संविधान देश के कार्यकारी प्रमुख को सदन को भंग करने के अधिकार से वंचित रखता है. उन्हें खबर में यह कहते हुए उद्धृत किया गया यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि संवैधानिक मुद्दा है. अदालत को इसे उसी अनुसार देखना चाहिए. प्रचंड और ओली समूह दोनों ही नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर नियंत्रण का दावा करती है और यह मामला निर्वाचन आयोग के पास है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details