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नेपाल में कोविड के चलते बेरोजगारी बढ़ी, पर ओली के भाग्य पर असर के आसार नहीं

नेपाल कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है. कोरोना के चलते नेपाल में बेरोजगारी बढ़ गई है. हिमालयी देश में 60 फीसदी से अधिक व्यवयास पूरी तरह ठप पड़ गए हैं. सूत्रों ने बताया कि बढ़ती बेरोजगारी की समस्या नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Nepal PM KP Sharma Oli) के लिए एक बड़ी चिंता का विषय नहीं हो सकती है, भले ही नेपाल नवंबर में आम चुनावों के लिए तैयार हो.

केपी शर्मा ओली
केपी शर्मा ओली

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Published : Jun 20, 2021, 6:40 AM IST

Updated : Jun 20, 2021, 7:59 AM IST

नई दिल्ली :नेपाल में केवल बेरोजगारी बढ़ी है, जो कोविड 19 की दूसरी लहर (second wave of Covid 19) और उसके बाद के लॉकडाउन की चपेट में है. पिछले साल नेपाल राष्ट्र बैंक के एक सर्वेक्षण ने संकेत दिया था कि हिमालयी देश में 60 प्रतिशत से अधिक व्यवसाय पूरी तरह से बंद हो सकते हैं. रोजगार के अवसरों की तलाश में बड़ी संख्या में नेपाली एक बार फिर देश से बाहर जाने की योजना बना रहे हैं.

कतर, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और ओमान सहित खाड़ी देश नेपालियों के लिए सबसे पसंदीदा रोजगार स्थल बने हुए हैं. मलेशिया भी नेपाली युवाओं को आकर्षित करने वाला एक अन्य देश है. काठमांडू पोस्ट ने कहा, ये सात देश अनुमानित 13 लाख नेपाली प्रवासी श्रमिकों की मेजबानी करते हैं.

इसके अलावा, भारत में काम करने वाले नेपाली लोगों की संख्या 30 से 40 लाख के बीच अनुमानित है. अखबार ने कहा, विदेश में काम करने वाले अधिकांश नेपाली भारत में कार्यरत हैं. लेकिन चूंकि नेपाल और भारत एक खुली सीमा साझा करते हैं, इसलिए कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं.

काठमांडू स्थित एक विश्लेषक ने इंडिया नैरेटिव (India Narrative) को बताया, नेपाल के युवाओं ने देश में कभी कोई भविष्य नहीं देखा. कोविड-19 महामारी और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव ने केवल चीजों को बदतर बना दिया है.

दो साल पहले, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Nepal PM KP Sharma Oli) ने 3.1 अरब रुपये के आवंटन के साथ एक महत्वाकांक्षी रोजगार सृजन योजना शुरू की थी. लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार के कारण देने में विफल रहा है.

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (Observer Research Foundation) (ओआरएफ) ने छह महीने पहले प्रकाशित एक अध्ययन में कहा कि अनौपचारिक क्षेत्र के आठ प्रतिशत और घर पर काम करने वाले 14 लाख श्रमिकों को कोरोना वायरस महामारी के कारण नौकरी गंवाने का गंभीर खतरा है.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने पहले उल्लेख किया था कि बड़ी संख्या में श्रम बल, विशेष रूप से युवाओं ने काम पर उच्च आय और सम्मान की तलाश में विदेशों में प्रवास का विकल्प चुना है.

काठमांडू स्थित एक उद्यमी ने इंडिया नैरेटिव को बताया, यह नहीं बदला है. नेपाली अभी भी सीमित रोजगार के अवसरों के साथ देश के बाहर आकर्षक विकल्पों की तलाश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, कोविड 19 की गंभीर दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था को और प्रभावित किया है और हम में से कई अनिश्चित भविष्य की ओर देख रहे हैं.

हाल ही में, एएनआई ने कहा कि जिला अधिकारियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद, एक निराशाजनक रोजगार परिदृश्य के बीच हर दिन बड़ी संख्या में नेपाली प्रवासी श्रमिक भारत में सीमा पार करते हैं.

समाचार एजेंसी ने कहा, 29 अप्रैल से सार्वजनिक परिवहन बंद होने के बावजूद, हताश परिस्थितियों में प्रवासी श्रमिक रोजगार के लिए भारत पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें से अधिकांश श्रमिक आपातकालीन सेवाओं के लिए दिए गए पास वाले वाहनों में परिवहन के लिए अपमानजनक कीमत चुका रहे हैं.

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क्या ओली के लिए चिंता का विषय बनेगा बेरोजगारी का मुद्दा?
दिलचस्प बात यह है कि कई स्रोतों ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि बढ़ती बेरोजगारी की समस्या ओली के लिए एक बड़ी चिंता का विषय नहीं हो सकती है, भले ही नेपाल नवंबर में आम चुनावों के लिए तैयार हो.

उनमें से एक ने कहा, यह सच है कि बेरोजगारी बढ़ी है, लेकिन यह मुद्दा नया नहीं है. यह कई वर्षों से संकट में है. ओली एक ऐसे व्यक्ति हैं जो जमीनी स्तर से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं और इससे उन्हें आगामी आम चुनावों में मदद मिल सकती है.

ओआरएफ अध्ययन (ORF study ) में कहा गया है : दुर्भाग्य से, युवाओं के लिए रोजगार सृजन नेपाल में वर्तमान सरकार या अतीत में किसी भी सरकार के लिए प्राथमिकता नहीं रही है. देश में योजनाकार और नीति निर्माता इस समस्या के प्रति उदासीन हैं, क्योंकि वे केवल प्रवासी श्रमिकों से प्रेषण की वृद्धि से संतुष्ट हैं, जो नेपाल के सकल घरेलू उत्पाद के 30 अरब डॉलर के एक चौथाई से अधिक के लिए जिम्मेदार है.

(आईएएनएस)

Last Updated : Jun 20, 2021, 7:59 AM IST

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