नई दिल्ली :नेपाल में केवल बेरोजगारी बढ़ी है, जो कोविड 19 की दूसरी लहर (second wave of Covid 19) और उसके बाद के लॉकडाउन की चपेट में है. पिछले साल नेपाल राष्ट्र बैंक के एक सर्वेक्षण ने संकेत दिया था कि हिमालयी देश में 60 प्रतिशत से अधिक व्यवसाय पूरी तरह से बंद हो सकते हैं. रोजगार के अवसरों की तलाश में बड़ी संख्या में नेपाली एक बार फिर देश से बाहर जाने की योजना बना रहे हैं.
कतर, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और ओमान सहित खाड़ी देश नेपालियों के लिए सबसे पसंदीदा रोजगार स्थल बने हुए हैं. मलेशिया भी नेपाली युवाओं को आकर्षित करने वाला एक अन्य देश है. काठमांडू पोस्ट ने कहा, ये सात देश अनुमानित 13 लाख नेपाली प्रवासी श्रमिकों की मेजबानी करते हैं.
इसके अलावा, भारत में काम करने वाले नेपाली लोगों की संख्या 30 से 40 लाख के बीच अनुमानित है. अखबार ने कहा, विदेश में काम करने वाले अधिकांश नेपाली भारत में कार्यरत हैं. लेकिन चूंकि नेपाल और भारत एक खुली सीमा साझा करते हैं, इसलिए कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं.
काठमांडू स्थित एक विश्लेषक ने इंडिया नैरेटिव (India Narrative) को बताया, नेपाल के युवाओं ने देश में कभी कोई भविष्य नहीं देखा. कोविड-19 महामारी और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव ने केवल चीजों को बदतर बना दिया है.
दो साल पहले, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Nepal PM KP Sharma Oli) ने 3.1 अरब रुपये के आवंटन के साथ एक महत्वाकांक्षी रोजगार सृजन योजना शुरू की थी. लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार के कारण देने में विफल रहा है.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (Observer Research Foundation) (ओआरएफ) ने छह महीने पहले प्रकाशित एक अध्ययन में कहा कि अनौपचारिक क्षेत्र के आठ प्रतिशत और घर पर काम करने वाले 14 लाख श्रमिकों को कोरोना वायरस महामारी के कारण नौकरी गंवाने का गंभीर खतरा है.
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने पहले उल्लेख किया था कि बड़ी संख्या में श्रम बल, विशेष रूप से युवाओं ने काम पर उच्च आय और सम्मान की तलाश में विदेशों में प्रवास का विकल्प चुना है.