टोक्यो : जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने खराब स्वास्थ्य के कारण सरकार से अलग होने का फैसला किया है. शिंजो आबे ने औपचारिक रूप से इसका एलान किया है. शिंजो आबे जापान के इतिहास में सबसे लंबे समय तक लगातार प्रधानमंत्री रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के खराब स्वास्थ्य पर दु:ख जताते हुए कहा कि उनके बुद्धिमता पूर्ण नेतृत्व और निजी प्रतिबद्धता के कारण भारत-जापान की साझेदारी पहले से कहीं अधिक गहरी और मजबूत हुई है.
मोदी ने ट्वीट किया, 'मेरे प्रिय मित्र शिंजो आबे, आपकी खराब सेहत के बारे में जानकर दु:ख हुआ. पिछले कुछ साल में आपके बुद्धिमता पूर्ण नेतृत्व और निजी प्रतिबद्धता की वजह से भारत-जापान साझेदारी पहले से कहीं अधिक गहरी और मजबूत हो गयी है. मैं आपके जल्द स्वस्थ होने की कामना और प्रार्थना करता हूं.'
आबे का कार्यकाल सितंबर, 2021 में खत्म होने वाला है. ऐसी उम्मीद है कि जब तक पार्टी इस पद के लिए एक नया नेता नहीं चुन लेती है और संसद से औपचारिक मंजूरी नहीं मिल जाती है, तब तक आबे पद पर बने रहेंगे.
आबे 2006 में 52 साल की उम्र में जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे लेकिन एक साल बाद ही स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से वह पद से हट गए. इसके बाद दिसंबर, 2012 में आबे सत्ता में लौटे.
आबे ने जापान के इतिहास में लगातार सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने का इतिहास सोमवार को बना लिया. इससे पहले 2,798 दिनों तक पद पर रहने का रिकॉर्ड इसाकु सातो के नाम था.
आबे से पहले जापान की ऐसी छवि बनी हुई थी कि यहां के प्रधानमंत्री का कार्यकाल बेहद कम होता है. आबे के पद छोड़ने से स्थिरता के इस काल की समाप्ति होगी. जापान ने आबे के शासनकाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मजबूत संबंध देखे, लेकिन आबे के कट्टर राष्ट्रवाद की नीति ने कोरिया और चीन को नाराज करने का काम किया.
आबे ने जापान को मंदी से बाहर निकाला, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था के सामने कोरोना वायरस महामारी के चलते एक नया संकट पैदा हुआ है. आबे अमेरिका द्वारा तैयार किए गए युद्ध विरोधी एवं शांतिवादी संविधान को औपचारिक तौर पर दोबारा लिखे जाने का लक्ष्य अपने कार्यकाल में पूरा नहीं कर सके क्योंकि इसपर उन्हें आम जन का ज्यादा समर्थन नहीं मिल सका.
आबे को पूर्व प्रधानमंत्री और अपने दादा नोबूसुके किशी के राजनीतिक विचारों के पदचिह्नों पर चलने के लिए तैयार किया गया था. किशी का ध्यान जापान को एक ऐसा 'सामान्य' और 'सुंदर' देश बनाना था जिसके पास बड़ी सैन्य शक्ति हो और जो अंतरराष्ट्रीय मामलों में अहम भूमिका निभाता हो.