कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में दो दिन का समय बाकी है. चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय के वोटों की अहम भूमिका होने की संभावना है. अप्रैल के ईस्टर संडे को सेंट एंथोनी चर्च में हुए हमले में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. श्रीलंका की कुल आबादी का सात प्रतिशत ईसाई समुदाय का वोट है. ईस्टर पर हुए हमले के मद्देनजर माना जा रहा है कि ईसाई समुदाय के वोट किसी भी पक्ष में जा सकते हैं.
श्रीलंका के ईसाई मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है, यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने चुनावों से पहले कोलंबो स्थित सेंट एंथोनी चर्च के पादरी जूड फर्नांडो से विशेष बात की.
ईस्टर हमलों के बाद हुई जांच की कार्यवाही से असंतुष्ट फादर फर्नांडो ने कहा, 'हमें अभी तक न्याय नहीं मिला है. चर्च न्याय पर जोर दे रहा है और हमें इसकी जरूरत है. हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि किसने क्या किया और क्या हुआ.'
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उन्होंने कहा, 'इससे पहले, इस घटना की जांच के लिए आयोग नियुक्त किए गए थे और रिपोर्ट भी आ चुकी है. हाल ही में, इस मामले की जांच के लिए एक नए आयोग की स्थापना की गई थी.'
फादर फर्नांडो ने कहा, 'हम न्याय पाने के लिए इंतजार कर रहे हैं. हम जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं.'
यह पूछे जाने पर कि ईसाई मत चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका कैसे निभाएंगे, तो उन्होंने कहा, 'हमारा किसी भी राजनीतिक दल के प्रति कोई विशेष झुकाव नहीं है या हम किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करते हैं. हालांकि, चर्च ने मतदाताओं को वोट देने के लिए प्रोत्साहित किया है. उनके वोट, क्योंकि यह उनका अधिकार है.'