इस्लामाबाद : चहुंओर से कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान के हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ रहे हैं. अंतराषट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के वित्तीय राहत पैकेज के बाद भी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है, इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को सभी बुनियादी वस्तुओं की कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
पाकिस्तान में हाल के दिनों में बुनियादी जरूरतों की वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जिससे लोगों का जीवन घनघोर दुख और गरीबी में धकेल दिया गया है.
खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति यानी खाने की वस्तुओं की महंगाई यहां लगातार बढ़ रही है, जिससे निम्न-मध्यम-आय वाले घरेलू बजट पर दबाव बढ़ रहा है.
आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में हेडलाइन मुद्रास्फीति पिछले कुछ महीनों में 10 प्रतिशत से नीचे गिरी हुई हो सकती है, मगर यहां खाद्य मुद्रास्फीति दहाई के अंक में यानी 10 प्रतिशत या उससे अधिक ही बनी हुई है.
गौरतलब है कि पाकिस्तान उन देशों में शामिल है, जहां एक घर की आधी से ज्यादा आमदनी तो खाने की वस्तुओं पर ही खर्च हो जाती है. पेट्रोल, बिजली यूनिट्स और परिवहन की लागत में वृद्धि, अप्रत्यक्ष करों के साथ, निम्न-आय वाले परिवार अब और अधिक गरीबी, भूख और कुपोषण में डूब गए हैं.
2019-20 में पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा किए गए अनुमानों और आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष कम से कम 15.9 प्रति 100 घरों की तुलना में मध्यम से गंभीर रूप से खाद्य-असुरक्षित परिवारों की संख्या बढ़कर कम से कम 16.4 प्रति 100 घर हो गई है.
उपर्युक्त आंकड़े नौकरी के नुकसान, आय में कमी और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अनिवार्य आर्थिक नीतियों के प्रभाव को दिखाते हैं, जिसका उद्देश्य देश के वित्तीय प्रबंधन को स्थिर करना है, क्योंकि सर्वेक्षण कोविड-19 के प्रकोप से पहले किया गया था.