इस्लामाबाद :पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) ने पहली बार पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (Pakistan's National Security Policy) पेश की है. पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति और मंत्रिमंडल से अनुमोदित सुरक्षा नीति के सार्वजनिक संस्करण जारी करते हुए इमरान ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारें पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में नाकाम रहीं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 पन्नों के मौलिक दस्तावेज में राष्ट्रीय सुरक्षा को स्पष्ट रूप से परिभाषित किय गया है. इस नीति को नागरिकों को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है और आर्थिक सुरक्षा को केंद्र बिंदु बनाया गया है. इसमें पाकिस्तान को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने पर जोर है. खान ने कहा कि पाकिस्तान के जन्म से ही एक आयामी सुरक्षा नीति रही जिसमें सैन्य ताकत पर फोकस था.
उन्होंने कहा कि पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा प्रकोष्ठ ने सहमति से दस्तावेज तैयार किया है जिसमें सही तरीके से राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित किया गया है. इमरान खान सरकार के लिए वर्ष 2022-2026 के लिए पंचवर्षीय नीति की भी घोषणा की गई है जो अपने तरह का पहचान रणनीति दस्तावेज है जो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि और इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दिशानिर्देश का जिक्र है.
राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का वास्तविक मसौदा गोपनीय श्रेणी में बना रहेगा. राष्ट्रीय सुरक्षा का मुख्य थीम राष्ट्रीय सामंजस्य, आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करना, रक्षा एवं क्षेत्रीय अखंडता, आतंरिक सुरक्षा, बदलती दुनिया में विदेश नीति और मानव सुरक्षा के ईर्दगिर्द है. इससे पहले पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने कहा था कि नयी नीति के तहत पाकिस्तान एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे की ओर बढ़ेगा जिसका लक्ष्य पाकिस्तान के नागरिकों की सुरक्षा, संरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना है.
उन्होंने कहा कि नीति में आर्थिक सुरक्षा को केंद्र में रखा जाएगा. मजबूत अर्थव्यवस्था से अतिरिक्त संसाधन उत्पन्न होगे जिन्हें बाद में और सैन्य ताकत बढ़ाने और मानव सुरक्षा के लिए हस्तांतरित किया जाएगा. एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की खबर के मुताबिक यूसुफ ने कहा कि विदेशी मामलों के मोर्चे पर नयी नीति भ्रामक सूचना, हिंदुत्व और घरेलू राजनीतिक फायदे के लिए आक्रमकता का इस्तेमाल भारत से अहम खतरे हैं. खबर में यूसुफ के हवाले से कहा गया कि नीति में जम्मू-कश्मीर को द्विपक्षीय संबंध के केंद्र में रखा गया है.
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जब उनसे पूछा गया कि यह भारत को क्या संदेश देता है तो उन्होंने कहा कि यह भारत को कहता है कि सही कार्य करिए और हमारे लोगों की बेहतरी के लिए क्षेत्रीय संपर्क से जुड़िए. यह भारत को यह भी कहता है कि अगर आप सही कार्य नहीं करेंगे तो इससे पूरे क्षेत्र को नुकसान होगा और उसमें भी सबसे अधिक भारत का नुकसान होगा. इस सप्ताह के शुरुआत में अधिकारी ने कहा था कि पाकिस्तान भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों से नयी नीति के तहत शांति चाहता है और कश्मीर मुद्दे के समाधान के बिना भी नयी दिल्ली से कारोबार के रास्ते को खुला रखना चाहता है.