पेरिस : फ्रांसीसी राजधानी पेरिस में सोमवार से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक शुरू होगी. इस बैठक के साथ पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. एफएटीएफ की बैठक में यह आकलन किया जाएगा कि पाकिस्तान ने वैश्विक निगरानी के तहत आतंकी वित्तपोषण और धन शोधन (मनी लॉन्डरिंग) को रोकने के लिए कदम उठाया है या नहीं, अगर पाक ने ऐसा नहीं किया है तो उसे ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है.
पाक पहले से ही 'ग्रे लिस्ट' (वॉच लिस्ट) में है और एफएटीएफ ने धन शोधन और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ कार्रवाई पूरी करने के लिए उसे अक्टूबर तक का समय दिया है.
बैठक से जुड़े खास बिंदु
- एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान को यह भी दिखाना होगा कि उसने संबंधित व्यक्ति को अपने संसाधनों और संसाधनों के उपयोग से वंचित किया है.
- एफएटीएफ के मुताबिक अगर पाकिस्तान 27 प्वॉइंट के प्लान को लागू करने में फेल होता है तो देश को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा.
- अगर पाक को ब्लैक लिस्ट किया जाता है तो इसका मतलब होगा कि उसे आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से कर्ज और सहायता नहीं मिल सकेगी.
- सात औद्योगिकी देशों (जी-7) द्वारा 1989 में गठित संगठन एफएटीएफ का काम टेरर फंडिंग और धन शोधन पर रोक लगाना है.
- इसकी रविवार से 18 अक्टूबर तक पेरिस में प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप की बैठकें होंगी.
- वर्तमान में, चीन एफएटीएफ का अध्यक्ष है, जो नई तकनीकों के धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण के जोखिमों को कम करने के लिए काम कर रहा है.
40 में से 32 मापदंडो में विफल
- एफएटीएफ की मुख्य बैठक के लिए वस्तुत: जोर देते हुए 23 अगस्त को विश्व निकाय के एशिया-पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने पाकिस्तान से नाखुशी व्यक्त करते हुए कहा था कि यह आतंक के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कार्रवाई को लेकर आवश्यक 40 में से 32 मापदंडों में विफल रहा है.
- वैश्विक निकाय में वर्तमान में 37 देश और दो क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं, जो दुनियाभर के अधिकतर प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
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