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कराची में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान गिराए गए तीन चर्च

द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के कराची में ईसाई समुदाय (Christian community in Pakistan) के चार गिरजाघरों में से तीन को रविवार को अतिक्रमण विरोधी अभियान (anti-encroachment drive) के दौरान ध्वस्त कर दिया गया है.

कराची में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान गिराए गए तीन चर्च
कराची में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान गिराए गए तीन चर्च

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Published : Aug 30, 2021, 5:30 PM IST

कराची : पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों (minorities in Pakistan) को लगातार हिंसा, असहिष्णुता और भेदभाव का सामना करना पड़ता है और हर गुजरते दिन के साथ देश भर से उनके खिलाफ अत्याचार की घटनाएं में इजाफा हो रहा है.

द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में ईसाई समुदाय (Christian community in Pakistan) को एक झटका देते हुए प्रशासन ने कराची के गुज्जर नल्ला (Karachi's Gujjar Nullah ) इलाके के चार गिरजाघरों में से तीन को रविवार को अतिक्रमण विरोधी अभियान (anti-encroachment drive) के दौरान ध्वस्त कर दिया.

यह पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित राज्य उत्पीड़न (systematic state persecution of minorities) और देश में उनके अधिकारों से वंचित होने का एक और उदाहरण है.

द डॉन के अनुसार सेंट जोसेफ कैथोलिक चर्च (St Joseph's Catholic Church) अब गुर्जर नल्ला में एकमात्र चर्च बचा है, क्योंकि प्रोटेस्टेंट ईसाई समुदाय (protestant Christian community ) के तीन फिलाडेल्फिया पेंटेकोस्टल चर्चों (Philadelphia Pentecostal Churches) को ध्वस्त कर दिया गया है.

एक स्थानीय निवासी रेहाना सोहेल (Rehana Sohail) ने कहा, 'बुजुर्गों को शेष ढांचे के गिरने का डर है और ज्यादातर महिलाएं यहां अब नहीं आती हैं, यहां हर रविवार को 150 से अधिक लोग इकट्ठा होते थे और उन सभी को समायोजित करना मुश्किल हो जाता था, लेकिन अब मुश्किल से 20 या 30 हैं. यह सिर्फ विश्वास खोने से ज्यादा है.

एक अन्य स्थानीय, मास्टर जोहैब जावेद (Master Zohaib Javed) ने कहा कि प्रशासन ने उनके चर्चों को ध्वस्त कर दिया और दीवारों और स्तंभों (walls and pillars) के टूटने के बाद सपोर्ट न होने के कारण चर्च की छत का एक बड़ा हिस्सा गिर गया.

उन्होंने कहा, 'हम अपने चर्च का पुनर्निर्माण करना चाहते थे और सामने एक नई दीवार खड़ी करना चाहते थे, लेकिन फिर हमें बताया गया कि फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (Frontier Works Organisation) के लोग भी अपने स्वयं के सर्वेक्षण के लिए आने वाले थे.

अर्बन रिसोर्स सेंटर (Urban Resource Centre ) के जाहिद फारूक (Zahid Farooq ) ने डॉन को बताया कि सेंट जोसेफ कैथोलिक चर्च भी क्षेत्र के निवासियों की बैठकों के लिए एक जगह हुआ करता था.

एक अन्य क्षेत्र निवासी यूनुस गिल (Younis Gill) ने कहा कि वे बार-बार एक नई रेड लाइन (new red line) के लिए आते हैं और इस तरह की तोड़-फोड़ केवल चर्च में ही नहीं, यहां के सभी घरों के साथ भी ऐसा करते हैं. मेरा अपना घर 53 प्रतिशत तोड़ा गया था और हमें मुआवजा भी नहीं दिया है. हमें जो चेक दिया गया वह भी बाउंस हो गया. इसके अलावा यहां एक छत के नीचे तीन से चार परिवार रहते हैं और मुआवजा एक को ही दिया जाता है.

बता दें कि पाकिस्तान की आबादी (Pakistan's population ) में 96 फीसदी मुस्लिम हैं. हालांकि देश में ईशनिंदा के आरोपी अधिकांश लोग मुस्लिम हैं, ईसाई, हिंदू और अहमदी (इस्लाम का एक सताया हुआ संप्रदाय जिसे सरकार ने कानूनी रूप से गैर-मुस्लिम घोषित किया है) जैसे अल्पसंख्यक इन कानूनों से पूरी तरह प्रभावित हैं.

हालांकि वे आबादी का लगभग 3.8 प्रतिशत हैं, उनके खिलाफ ईशनिंदा के लगभग 50 प्रतिशत मामले दर्ज किए घए हैं.

फ्रांस 24 ऑब्जर्वर (FRANCE 24 Observers) की रिपोर्ट के अनुसार, एनसीजेपी के अनुसार 1987 से अब तक 633 मुस्लिम, 494 अहमदी, 187 ईसाई और 21 हिंदुओं पर आरोप लगाए गए हैं.

मुस्लिम बहुसंख्यक उनका वर्णन 'चुरहा' या 'काफिर' जैसे शब्दों का उपयोग करते हुए करते हैं. ईसाई समुदाय का एक बड़ा हिस्सा निम्न सामाजिक आर्थिक बैकग्राउंड (lower socioeconomic backgrounds) से है, कम शिक्षित है, और ईंट भट्टों या स्वच्छता क्षेत्र में कम वेतन वाला शारीरिक श्रम करता है.

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सीपीएफए की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय न्याय और शांति आयोग (National Commission for Justice and Peace ) के नवीनतम आंकड़ों (1987-2018) के अनुसार 1987 से अब तक कुल 229 ईसाइयों पर धर्म से संबंधित अपराधों के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं.

इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (United States Commission on International Religious Freedom) ने 2020 में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा और अन्य विवादास्पद कानूनों के व्यवस्थित प्रवर्तन (systematic enforcement) के कारण पाकिस्तान को विशेष चिंता वाले देश के रूप में नामित किया.

मानवाधिकार संगठनों (human rights organisations) के अनुसार, हर साल 1,000 ईसाई लड़कियों का अपहरण किया जाता है. उनमें से कई को इस्लाम में धर्मांतरित करने के लिए मजबूर किया जाता है, क्योंकि पाकिस्तान में व्यापक रूप से यह माना जाता है कि शरिया कानून (Sharia law ) के तहत 16 साल से कम उम्र के विवाह स्वीकार्य हैं यदि दोनों व्यक्ति मुस्लिम हैं.

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