काठमांडू :नेपाल की जमीन पर चीन का अतिक्रमण करने का आरोप लगाने वाले नेपाली कांग्रेस पार्टी के सांसद जीवन बहादुर शाही ने खुद की जान को खतरा बताया है.
शाही ने रविवार को एक साक्षात्कार में कहा कि मैं यह दोहराना चाहता हूं कि अगर मेरे साथ कुछ भी दुर्भाग्यपूर्ण होता है, तो चीन जिम्मेदार होगा.
पिछले महीने जीवन बहादुर शाही ने दावा किया था कि चीन ने हुमला में नेपाल की भूमि पर अतिक्रमण किया है.
हालांकि, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने आरोपों से इनकार किया था.
करनाली प्रांत में विपक्ष के नेता शाही ने कहा था कि चीन ने नेपाल की सीमा में एक पिलर बनाया है. उनका कहना था कि इस बारे में सरकारी अधिकारियों से कोई सलाह नहीं लगी गई.
उन्होंने कहा कि पिलर 12 को हाल ही में चीन द्वारा बनाया गया है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि उनसे इस तरह के मुद्दों के बारे में सलाह नहीं ली गई है. पिलर्स 5.1 और 6.1 को सीमित किया गया है, क्योंकि वहां चीनी सुरक्षा बल तैनात हैं. उन्होंने कहा कि चीन ने हिलसा के लोलुंगजोंग में नौ इमारतों का निर्माण किया था, जो नेपाली क्षेत्र में बनी हुई थीं.
शाही के इस दावे के बाद, चीन ने न केवल इसका विरोध किया, बल्कि काठमांडू में चीनी दूतावास ने नेपाली कांग्रेस पार्टी को एक पत्र लिखकर आक्रामक तरीके से जवाब दिया.
चीनी दूतावास द्वारा भेजे गए पत्र को 'अकूटनीतिक' करार देते हुए नेपाल के विपक्षी नेता ने साक्षात्कार में कहा कि चीन की प्रतिक्रिया नेपाली कांग्रेस के चीन के साथ संबंधों को खतरे में डाल सकती है. साथ ही नेपाल-चीन संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है.
उन्होंने कहा कि दूतावास के पत्र में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा एक खतरे की तरह दिखती है और यह मेरी स्थिति और व्यक्तित्व को कमजोर करती है.
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चीनी अतिक्रमण की रिपोर्ट पर नेपाल सरकार की चुप्पी की आलोचना करते हुए शाही ने कहा कि ओली सरकार ने नेपाल की भूमि का दावा न करके चीन के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की है. यहां तक कि वहां मौजूद सरकारी अधिकारी भी इस बारे में बोलने से हिचकते हैं.
उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री ओली को एक पत्र सौंपा है और सरकार को चीन के साथ बात करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भेजने के लिए अनुरोध किया है, लेकिन हमें आज तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.