वॉशिंगटन : अमेरिकी खुफिया विभाग के आकलन के अनुसार, गलवान में मारे गए सैनिकों के परिवारों पर सरकार दबाव बना रही है कि वे शवयात्रा और व्यक्ति के अंतिम संस्कार समारोह का आयोजन न करें. अमेरिकन इंटेलिजेंस के मुताबिक चीन ऐसा इसलिए कर रहा है कि क्योंकि वह नहीं स्वीकार करना चाहता कि लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक भी मारे गए थे.
अमेरिका की रिपोर्ट में कहा गया है कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों और उनके परिजनों के साथ चीन की सरकार गलत व्यवहार कर रही है. पहले तो सरकार यह मानने तैयार नहीं थी की सैनिकों का मौत हुई है और अब सैनिकों के परिवार वालों को शवयात्रा और अंतिम संस्कार के लिए होने वाली रीति-रिवाजों का आयोजन नहीं करने दे रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन सरकार ने गलवान घाटी में मारे गए सैनिकों के परिवार वालों को उन्हें पारंपरिक अंतिम संस्कार समारोह नहीं करने को कहा है. हालांकि, सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकना इसका कारण बताया है. लेकिन इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीनी सरकार हिंसक झड़प की यादों को मिटाने और अपनी भूल को छिपाने में लगी हुई है.
पीएलए सैनिकों का परिवार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इस फैसले से आहत और दुखी हैं. वहीं सरकार उन सैनिकों के परिवारों को चुप कराने में भी लगी हुई है जो सोशल मीडिया के जरिए इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत का कहना है कि अगर चीन के पक्ष से पूर्वी लद्दाख में उच्च स्तर पर समझौता किया जाता तो झड़प की स्थिति को टाला जा सकता था. चीन सरकार ने अब तक केवल कुछ ही सैनिकों की मौतों को स्वीकार किया है. भारतीय रिपोर्ट्स के अनुसार चीनी पक्ष के 43 सैनिक हताहत हुए हैं. वहीं अमेरिकी खुफिया विभाग का मानना है कि हिंसक झड़प में 35 चीनी सैनिक मारे गए थे.
पहले भी परिजनों को शांत करने की कोशिश