काबुल :आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने एक और हिंसक दौर शुरू करने की धमकी दी है जबकि इससे पहले अफगानिस्तान में तालिबान इसी भूमिका में था. लेकिन अब देश से अमेरिकी सैनिक और उससे संबद्ध अफगान सरकार जा चुकी है और तालिबान सत्ता में है.
तालिबान ने शांति वार्ता के दौरान अमेरिका से चरमपंथी समूह को नियंत्रण में रखने का वादा किया था. 2020 के अमेरिका-तालिबान समझौते के तहत तालिबान ने अफगानिस्तान को अमेरिका या उसके सहयोगियों को धमकी देने वाले आतंकवादी समूहों के लिए पनाहगाह नहीं बनने देने की गारंटी दी थी.
हालांकि 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से आईएस के हमलों में अचानक तेजी आने के बाद यह स्पष्ट नहीं है कि वे अपने इस वादे को निभा सकेंगे या नहीं. उत्तरी प्रांत कुंदुज में भीड़ भाड़ वाले एक शिया मस्जिद में हुए घातक बम विस्फोट में 46 लोगों की मौत हो गई. आईएस ने राजधानी काबुल और पूर्व और उत्तर प्रांतों में भी कई घातक हमले किए हैं, जबकि छोटे पैमाने पर हमलों में वे तालिबान लड़ाकों को लगभग रोजाना निशाना बनाते हैं.
तालिबान और आईएस दोनों ही इस्लामिक कानून की कट्टर विचारधारा को मानते हैं लेकिन दोनों में महत्वपूर्ण वैचारिक अंतर है जिसके कारण दोनों एक-दूसरे से नफरत करते हैं. फिर भी आईएस के खतरे की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है.