मेलबर्न : ऑस्ट्रेलियाई कानून ने सरकारी एजेंसियों को अधिकृत रूप से हैकिंग-निगरानी का अधिकार (authorize hacking, surveillance) दे दिया है. सांसदों ने कानूनी एजसेंयों को तीन नई शक्तियां प्रदान की हैं. जिनमें डेटा व्यवधान वारंट, नेटवर्क गतिविधि वारंट और खाता अधिग्रहण वारंट शामिल है.
ये शक्तियां संघीय अधिकारियों के डिजिटल क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में काम आएंगी. डेटा व्यवधान वारंट ऑस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस या ऑस्ट्रेलियाई आपराधिक खुफिया आयोग को ऑनलाइन गंभीर अपराधों के लिए डेटा को संशोधित करने, जोड़ने, कॉपी करने या हटाने की अनुमति देता है.
नेटवर्क गतिविधि वारंट आपराधिक समूहों की कंप्यूटर से संबंधित गतिविधियों की निगरानी को सक्षम बनाता है, जैसे कि वाट्सऐप चैट या आई मैसेज टेक्स्ट की गुप्त रूप से निगरानी करना. यदि कोई संदेह है कि कोई गंभीर अपराध हो रहा है तो एजेंसियां एक खाता अधिग्रहण वारंट का उपयोग करके किसी के ऑनलाइन खातों को नियंत्रित कर सकती हैं.
उपयोगकर्ता को ई-मेल और सोशल मीडिया जैसी सेवाओं से बाहर कर सकती हैं और खातों को स्वयं संचालित कर सकती हैं. इन तीन शक्तियों को सहायता आदेशों के साथ जोड़ा गया है जो व्यवसायों और व्यक्तियों को वारंट को सुविधाजनक बनाने में मदद करने के लिए मजबूर करते हैं.
कानून लागू करने वाली एजेंसियों की सहायता करने से इनकार करने या विफल होने पर दस साल तक की जेल हो सकती है. न केवल ये नई क्षमताएं निजता में दखल दे रही हैं बल्कि संघीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के फोकस में बदलाव हैं. परंपरागत रूप से एएफपी और एसीआईसी का प्रेषण विशिष्ट अपराधों के स्वीकार्य साक्ष्य एकत्र करने के लिए किया गया है.
अब ऑस्ट्रेलियाई सिग्नल निदेशालय (Australian Signals Directorate) की सहायता से, संघीय कानून प्रवर्तन प्राधिकरण आक्रामक हो रहे हैं. चिंता का कारण यह उम्मीद की जाएगी कि संघीय पुलिस केवल बहुत गंभीर अपराधों के संदिग्ध लोगों को हैक या सर्वेक्षण कर सकती है. वास्तव में आईडी कानून के तहत व्यावहारिक रूप से किसी का भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े समूह के हिस्से के रूप में सर्वेक्षण किया जा सकता है.