बीजिंग : एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में बलूच अलगाववादियों द्वारा किए गए जानलेवा हमलों ने चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना को खतरे में डाल दिया है और इसकी लागत को बढ़ा दिया है. जबकि अरब सागर पर बने ग्वादर बंदरगाह पर बीजिंग का हित इस्लामाबाद और तेहरान के छद्म युद्ध के बीच फंस गया है.
हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादियों द्वारा घातक हमलों की वजह से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) जिस पर 60 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश किया गया है और ग्वादर बंदरगाह जिस पर चीन का दबदबा है, उस पर खतरा मंडरा रहा है.
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्ग के नेटवर्क से जोड़ना है. सीपीईसी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बीआरआई परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
मई के बाद हुए तीसरे हमले में आतंकवादियों ने पंजगुर जिले में गश्त कर रहे अर्धसैनिक बल के जवानों पर गोलीबारी की जिसमें तीन सैनिक मारे गए और सेना के एक कर्नल सहित आठ अन्य घायल हो गए.
रिपोर्ट के अनुसार बलूच अलगाववादी गुटों ने हाल ही में सिंध प्रांत और इसकी प्रांतीय राजधानी कराची तक अपने अभियानों का विस्तार किया है. सिंध में बीजिंग के निवेश उतने ही खतरे में है जितने कि बलूचिस्तान में.
चीन के स्वामित्व वाले उद्यम कराची बंदरगाह पर कंटेनर टर्मिनल चलाते हैं और उन्होंने सीपीईसी के तहत और स्थानीय निगमों की साझेदारी में स्थापित परमाणु और कोयला बिजली परियोजनाओं में निवेश किया है.
29 जून को चार आतंकियों को पुलिस कमांडो ने मार डाला था, जब उन्होंने कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हमला किया था. कराची स्टॉक एक्सचेंज में तीन चीनी कंपनियों की 40 प्रतिशत की भागीदारी है.
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज के निदेशक मोहम्मद अमीर राणा ने पोस्ट को बताया कि बलूच समूहों ने न केवल अपने हमलों को तेज किया है, बल्कि बलूचिस्तान से परे अपनी आतंकवादी हिंसा का विस्तार भी किया है, लेकिन यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि यह प्रवृत्ति बनी रहेगी या समाप्त होगी.
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राणा ने कहा कि सीपीईसी परियोजनाएं और उसमें काम कर रहे चीनी स्टाफ की हिफाजत 2017 में बने स्पेशल सिक्योरिटी डिवीजन के 13,700 सैनिक कर रहे हैं, जिनका नेतृत्व टू स्टार पाकिस्तानी सेना के जनरल कर रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रांत में पैदा हो रहे उग्रवाद को कुचलने के लिए तैनात पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ बलूचिस्तान के कई हिस्सों में जनता के गुस्से की लहर के कारण बीजिंग पर राजनीतिक खतरा मंडरा रहा है.