नई दिल्ली/इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच साझेदारी पर दिए बयान के बाद नागरिकों के बीच शीर्ष सैन्य नेतृत्व के खिलाफ बड़े पैमाने पर गुस्सा उबल रहा है.
बीते रविवार को इस्लामाबाद में आयोजित विपक्षी दलों के वर्चुअल कॉन्फ्रेंस को लंदन से संबोधित करते हुए पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ ने पाकिस्तान की सेना को निशाने पर लिया था. उन्होंने सेना पर इमरान खान की अक्षम सरकार को सत्ता में लाने, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और विदेशी संबंधों को खत्म करने, मीडिया को सेंसर करने और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया.
शरीफ ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान के सशस्त्र बल देश के संविधान और संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के विजन के अनुसार सरकारी प्रणाली से दूर रहें और लोगों की पसंद में हस्तक्षेप न करें. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा हमने इस देश को अपनी नजर में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मजाक बना दिया है.
भ्रष्टाचार के आरोप में नवाज शरीफ को 2017 में प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ कर दिया गया था. इसके बाद उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में जेल भेजा गया था. शरीफ पिछले साल नवंबर से इलाज के सिलसिले में ब्रिटेन में हैं.
कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के मुख्य विपक्षी दलों ने भाग लिया, जिसमें मौलाना फजलुर रहमान की अगुवाई वाला जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) भी शामिल रहा. रहमान ने खान सरकार को सत्ता में बने रहने देने के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया और उनसे ठोस निर्णय लेने का आग्रह किया.
शरीफ ने मौलाना फजलुर रहमान के साथ सहमति जताई और कहा कि सेना समानांतर सरकार बन गई है और हमारी समस्याओं का मूल कारण है. उनके भाषण ने तुरंत सेना पर एक राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ दी, जो कि कथित रूप से लोकतांत्रिक पाकिस्तान में अभी भी उतनी ही शक्तिशाली है, जितनी की तब जब उसने देश पर शासन किया था.
इस्लामाबाद के रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा पाकिस्तान में आम आदमी आज यह जानता है कि प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तानी सेना के सिविलियन प्रतिनिधि होने के अलावा कुछ नहीं है, जो वास्तव में देश को चलाता है. इसे यहां हाइब्रिड मार्शल लॉ कहा जाता है.