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सालेह ने खुद को घोषित किया अफगानिस्तान का राष्ट्रपति, तालिबान ने महिलाओं को अधिकार देने की बात दोहराई - राष्ट्रपति अशरफ गनी

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है. इस बीच अमरुल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित किया है. इसी बीच तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अफगानिस्तान अब मुक्त हो गया है और समूह कोई बदला नहीं लेना चाहता है. इसके साथ ही तालिबान ने महिलाओं को अधिकार देने की बात दोहराई है. तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों का इस्लामी कानून के तहत सम्मान किया जाएगा, पूर्ववर्ती शासन ने महिलाओं के जीवन पर पाबंदियां लगा दी थीं.

अमरुल्लाह सालेह
अमरुल्लाह सालेह

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Published : Aug 17, 2021, 8:36 PM IST

Updated : Aug 17, 2021, 10:24 PM IST

काबुल : तालिबान ने 20 साल बाद दोबारा अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के करीब तीन सप्ताह बाद ही सत्ता से बेदखल हो गई. इसी बीच अमरुल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित किया है.

अमरुल्लाह सालेह ने ट्वीट कर लिखा कि अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है. मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और और वैध केयरटेकर प्रेसिडेंट हूं. मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं.

इसी बीच तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अफगानिस्तान अब मुक्त हो गया है और समूह कोई बदला नहीं लेना चाहता है. जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि काबुल में दूतावासों की सुरक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है. हम सभी देशों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारे बल सभी दूतावासों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सहायता एजेंसियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूद हैं.

तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि देश पर उसके कब्जे के बाद 'हर किसी को माफ कर दिया गया है' और राजनीतिक वार्ता जारी है. तालिबान प्रवक्ता ने पुरजोर शब्दों में कहा कि महिलाओं के अधिकारों का इस्लामी कानून के तहत सम्मान किया जाएगा, पूर्ववर्ती शासन ने महिलाओं के जीवन पर पाबंदियां लगा दी थीं.

जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा कि वह सालों तक विद्रोहियों की ओर से गुपचुप तरीके से बयान जारी करते रहे हैं. तालिबान के पिछले शासन के दौरान महिलाओं के जीवन और अधिकारों पर कड़ी पाबंदियां देखी गई थीं. ऐसे में तालिबान प्रवक्ता के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है.

मुजाहिद ने यह भी कहा कि तालिबान चाहता है कि निजी मीडिया 'स्वतंत्र रहे', लेकिन उन्होंने इस बात को विशेष तौर पर रेखांकित किया कि पत्रकारों को देश के मूल्यों के खिलाफ काम नहीं करना चाहिये. मुजाहिद ने इस बात पर भी जोर दिया कि अफगानिस्तान किसी दूसरे देश को निशाना बनाने के लिये अपनी जमीन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देगा. साल 2020 में अमेरिका के साथ हुए समझौते में तालिबान ने इसका वादा भी किया था. इस समझौते के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ हो गया था.

कई अफगानिस्तानियों को इस बात का डर है कि तालिबान के आने से देश में बर्बर शासन लौट आएगा, जैसा कि उसके पिछले शासन में देखा गया था. मुजाहिद ने अनेकों अफगानिस्तानियों और विदेशी नागरिकों की मुख्य चिंताओं को भी दूर करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि महिलाओं को इस्लामी कानून के तहत अधिकार प्रदान किये जाएंगे.

कौन है तालिबान, जिसने अमेरिका को भी मजबूर कर दिया
तालिबान का अफगानिस्तान में उदय 90 के दशक में हुआ. सोवियत सैनिकों के लौटने के बाद वहां अराजकता का माहौल पैदा हुआ, जिसका फायदा तालिबान ने उठाया. उसने दक्षिण-पश्चिम अफगानिस्तान से अपना प्रभाव बढ़ाया. सितंबर 1995 में तालिबान ने ईरान सीमा से लगे हेरात प्रांत पर कब्ज़ा कर लिया. 1996 में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी को सत्ता से हटाकर काबुल पर कब्जा कर लिया था. तब सिर्फ पाकिस्‍तान और सऊदी अरब ने ही तालिबानी सरकार को मान्‍यता दी थी. 9/11 हमलों के बाद तालिबान ने ओसामा बिन लादेन को सौंपने से मना कर दिया था. 2002 में NATO ने अफगानिस्‍तान की सुरक्षा अपने हाथ में ले ली. हामिद करजई को पहला राष्‍ट्रपति चुना गया. 2014 से अमेरिका अफगानिस्तान में सैनिकों की संख्या कम करने लगा. इसके साथ ही तालिबान फिर बढ़ने लगा

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Last Updated : Aug 17, 2021, 10:24 PM IST

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