वाशिंगटन: तालिबान चरमपंथियों ने हाल के सप्ताहों में अफगानिस्तान के दर्जनों जिलों पर कब्जा कर लिया है और अब माना जाता है कि अफगानिस्तान का एक तिहाई हिस्सा उनके कब्जे में हैं. अमेरिका और पश्चिमी बल 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से रवाना हो जाएंगे.
तालिबान के साथ एक समझौते के तहत, अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी इस शर्त पर अफगानिस्तान से सैनिक बुलाने पर सहमत हुए हैं कि तालिबान चरमपंथी समूहों को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में संचालन करने से रोकेगा.
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस (State Department spokesman) ने सोमवार को दैनिक पत्रकार सम्मेलन में कहा कि मेहनत से हासिल उपलब्धियों को बनाए रखने में अमेरिका को अफगानिस्तान की सरकार और लोगों के साथ काम करते हुए दो दशक हो गए हैं. उनमें अफगान महिलाओं और अफगान लड़कियों द्वारा हासिल उपलब्धियां भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि अमेरिका की इसमें अहम भूमिका है और उसने अफगानिस्तान को मानवीय और विकास सहायता भी दी है. प्राइस ने कहा कि अमेरिकी दूतावास (US Embassy) जमीन पर अफगान नागरिक समाज का साझेदार है और उनका साझेदार बना रहेगा. प्रवक्ता के मुताबिक, वे जानते हैं कि बीते 20 साल में हासिल उपलब्धियों की अहमियत क्या है.
प्राइस ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम कह रहे हैं कि अफगानिस्तान में जो भी सरकार आए और वे उन उपलब्धियों का संरक्षण न करे, मानवाधिकारों का सम्मान न करे और बंदूक के दम पर शासन करने की कोशिश करे तो वह ऐसी सरकार होगी जिसे अफगान लोगों की ओर से या अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से वैधता नहीं प्राप्त होगी.