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बांग्लादेश के 19 मिलियन बच्चों का जीवन खतरे में: रिपोर्ट

जलवायु परिवर्तन से जुड़ी पर्यावरण आपदाओं से बांग्लादेश के 19 मिलियन बच्चों का भविष्य और जिंदगियां खतरे में हैं. UNICEF के मुताबिक इसका कारण कई परिवारों द्वारा अपने बच्चों को बाल विवाह के चंगुल में धकेलना भी है.

कॉन्सेप्ट इमेज (सौ. अलजजीरा)

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Published : Apr 5, 2019, 1:01 PM IST


हैदराबाद/डेस्क: संयुक्त राष्ट्र की चिल्ड्रन्स एसेंजी UNICEF ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी की. इसके अनुसार, 19 मिलियन से अधिक बांग्लादेशी बच्चों का जीवन और भविष्य विनाशकारी बाढ़, चक्रवात और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अन्य पर्यावरणीय आपदाओं के व्यापक प्रभाव से खतरे में है.

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UNICEF की रिपोर्ट में कहा गया कि इस रिपोर्ट में म्यांमार के वे हजारों रोहिंग्या शरणार्थी बच्चे भी शामिल हैं जो बांग्लादेश के तटीय जिले कॉक्स बाजार में स्क्वॉयड कैंप में रह रहे हैं.रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु के प्रभाव के कारण, पूरे बांग्लादेश में 130 से अधिक नदियों से घिरे एक निम्न-स्तरीय डेल्टा राष्ट्र के परिवारों ने कृषि योग्य भूमि, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में खोने के बाद बड़े शहरों की ओर पलायन किया है.बांग्लादेश का कृषि समाज काफी आरसे से सूखे की मार झेल रहा है जिससे मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले 30 लाख बच्चे प्रभावित है. बांग्लादेश के समतल मैदान, अधिक जनसंख्या और कमजोर ढांचागत सुविधाएं इसके कई मौसमी आपदाओं की चपेट में ले लेता हैं. जानकारों के मुताबिक, यह बीते कुछ वर्षों में बढ़ा है क्योंकि वैश्विक तापमान में काफी इजाफा हुआ है.साल 2007 में भयंकर चक्रवात से 4000 लोगों की मौत हुई थी और इससे हज़ारो लोग प्रभावित हुए थे. साल 2017 में ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आने से न्यूनतम 480 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 50000 ट्यूब वेल्स तबाह हो गयी थी. रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के गरीब समुदाय को राजधानी ढाका और अन्य प्रमुख शहरो में प्रवास करने के लिए जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, जहां बच्चों को बाल विवाह और मजदूरी के लिए संकट में झोंक दिया जाता है.बांग्लादेश में अभी जलवायु परिवर्तन से पीड़ित 600000 प्रवासी है. यह संख्या साल 2050 में दोगुनी हो सकती है. बांग्लादेश में जलवायु परिवर्तन का बाल विवाह, बाल मज़दूरी और शिक्षा तक पंहुच के साथ नाता कई भागों में दिख जायेगा.बांग्लादेश में यूनिसेफ के विशेषज्ञ क्रिस्टीना वैस्लुंड ने कहा, 'करीब 34.5 लाख बाल मज़दूरी में लिप्त बच्चों के पीछे का कारण जलवायु परिवर्तन है. इसके कारण कार्यस्थलों पर बच्चों को धकेलने की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है. जहां वह शिक्षा से वंचित हो जाते हैं और हिंसा व उत्पीड़न का सामना करते हैं.'

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