बैंकाक : फरवरी में सेना ने आंग सांग सू ची की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर सत्ता अपने हाथ में ले ली थी. सैन्य शासक देश में ट्रेनों को समय पर नहीं चलवा पाए, क्योंकि रेलकर्मी सैन्य तख्तापलट के विरोध में एकजुट होने वाले शुरुआती लोगों में शामिल थे और वे हड़ताल पर चले गए.
इसी के साथ, स्वास्थ्य कर्मियों ने भी सैन्य शासकों के खिलाफ सविनय अवज्ञा किया और सरकारी अस्पतालों में जाना बंद कर दिया. कई लोक सेवकों और सरकारी तथा निजी बैंकों के कर्मियों ने भी काम का बहिष्कार किया.
विश्वविद्यालय विरोध का केंद्र बने और हाल के हफ्तों में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षा व्यवस्था भी चरमरा गई, क्योंकि शिक्षकों, छात्रों एवं अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों का बहिष्कार कर दिया.
सैन्य तख्तापलट के 100 दिन बाद, म्यांमार के सत्तारूढ़ जनरलों के पास नाम का नियंत्रण है. नियंत्रण होने का भ्रम इसलिए भी है, क्योंकि उन्हें स्वतंत्र मीडिया की आवाज़ बंद करने और बलों को तैनात कर सड़कों को प्रदर्शनकारियों से खाली कराने में आंशिक कामयाबी मिली है.
स्वतंत्र आंकड़ों के मुताबिक, सुरक्षा बलों ने 750 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों और राहगीरों को मौत के घाट उतार दिया है.