संयुक्त राष्ट्र : महामारी के कारण लॉकडाउन (lockdowns) के दौरान दुनियाभर में अनेक लोगों के लिए योग ने 'जीवनरेखा' (Yoga became a lifeline) का काम किया और अनिश्चितता तथा निराशा से उबरने में लोगों की मदद की. इस प्राचीन पद्धति से कोविड-19 रोगियों को पुनर्वास और देशों को मजबूती से उबरने में मदद मिल सकती है.
यह बात सातवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (7th International Day of Yoga) पर संयुक्त राष्ट्र के नेताओं ने कही.
संयुक्त राष्ट्र में भरत के स्थायी मिशन ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर डिजिटल कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका विषय था अच्छे स्वास्थ्य के लिए योग.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर अपने डिजिटल संबोधन में कहा कि कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic ) ने खराब वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था के परिणाम को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है. सामाजिक एवं आर्थिक परिणाम विनाशकारी है. दुनिया में काफी संख्या में लोगों के लिए योग ने लॉकडाउन के दौरान जीवनरेखा का काम किया. इसने शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद की, साथ ही अनिश्चितता और पृथक-वास के तनाव को भी दूर करने में मदद की.
उन्होंने कहा कि जब हम महामारी से उबरने के लिए कदम उठा रहे हैं तो योग हमें चुनौतियों से निपटने, साथ मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करता है ताकि हम बेहतर तरीके से, मजबूती से उबर सकें.
संयुक्त राष्ट्र में उपमहासचिव अमीना मोहम्मद ( Amina Mohammed ) ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दुनियाभर में काफी तनाव और निराशा पैदा की है, जिसमें नुकसान उठाने से लेकर पृथक-वास में रहने और आर्थिक अनिश्चितता या सामान्य दिनचर्या तथा कार्य-जीवन के संतुलन में बाधा आना शामिल है.
उन्होंने कहा कि योग से लोगों को अनिश्चितता और निराशा से उबरने में सहायता मिल सकती है.
मोहम्मद ने कहा कि यह कोविड-19 रोगियों की देखभाल एवं पुनर्वास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और डर एवं दुख को दूर कर सकता है. मुझे उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्राचीन पद्धति को अपनाएंगे,
उन्होंने कहा कि योग में विभिन्न संस्कृति के लोगों को जोड़ने तथा शांति, धैर्य और एकजुटता के हमारे साझा वैश्विक मूल्यों को आगे बढ़ाने की संभावना है.