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'लॉकडाउन में योग ने जीवनरेखा का काम किया, रोगियों के पुनर्वास में निभा सकता है महत्वपूर्ण भूमिका'

कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के दौरान योन ने जीवन रेखा का काम किया है. इस प्राचीन पद्धति से कोविड-19 रोगियों को पुनर्वास और देशों को मजबूती से उबरने में मदद मिल सकती है. विश्व योग दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के नेताओं ने यह बात कही.

संयुक्त राष्ट्र
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Published : Jun 22, 2021, 2:02 AM IST

संयुक्त राष्ट्र : महामारी के कारण लॉकडाउन (lockdowns) के दौरान दुनियाभर में अनेक लोगों के लिए योग ने 'जीवनरेखा' (Yoga became a lifeline) का काम किया और अनिश्चितता तथा निराशा से उबरने में लोगों की मदद की. इस प्राचीन पद्धति से कोविड-19 रोगियों को पुनर्वास और देशों को मजबूती से उबरने में मदद मिल सकती है.

यह बात सातवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (7th International Day of Yoga) पर संयुक्त राष्ट्र के नेताओं ने कही.

संयुक्त राष्ट्र में भरत के स्थायी मिशन ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर डिजिटल कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका विषय था अच्छे स्वास्थ्य के लिए योग.

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर अपने डिजिटल संबोधन में कहा कि कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic ) ने खराब वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था के परिणाम को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है. सामाजिक एवं आर्थिक परिणाम विनाशकारी है. दुनिया में काफी संख्या में लोगों के लिए योग ने लॉकडाउन के दौरान जीवनरेखा का काम किया. इसने शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद की, साथ ही अनिश्चितता और पृथक-वास के तनाव को भी दूर करने में मदद की.

उन्होंने कहा कि जब हम महामारी से उबरने के लिए कदम उठा रहे हैं तो योग हमें चुनौतियों से निपटने, साथ मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करता है ताकि हम बेहतर तरीके से, मजबूती से उबर सकें.

संयुक्त राष्ट्र में उपमहासचिव अमीना मोहम्मद ( Amina Mohammed ) ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दुनियाभर में काफी तनाव और निराशा पैदा की है, जिसमें नुकसान उठाने से लेकर पृथक-वास में रहने और आर्थिक अनिश्चितता या सामान्य दिनचर्या तथा कार्य-जीवन के संतुलन में बाधा आना शामिल है.

उन्होंने कहा कि योग से लोगों को अनिश्चितता और निराशा से उबरने में सहायता मिल सकती है.

मोहम्मद ने कहा कि यह कोविड-19 रोगियों की देखभाल एवं पुनर्वास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और डर एवं दुख को दूर कर सकता है. मुझे उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्राचीन पद्धति को अपनाएंगे,

उन्होंने कहा कि योग में विभिन्न संस्कृति के लोगों को जोड़ने तथा शांति, धैर्य और एकजुटता के हमारे साझा वैश्विक मूल्यों को आगे बढ़ाने की संभावना है.

मोहम्मद ने कहा कि दुनियाभर में लाखों लोग योग करते हैं.

बोजकिर ने कहा कि विश्व योग का मतलब है 'एकजुटता' और यह शरीर एवं मस्तिष्क के मिलन का प्रतीक है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरूमूर्ति ( T S Tirumurti ) ने कहा कि इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य वैश्विक समुदाय के लिए स्वास्थ्य एवं अच्छी सेहत को बढ़ावा देना है, जो वर्तमान में कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित है.

तिरूमूर्ति ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा महामारी का लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ा है.

डेढ़ घंटे से अधिक डिजिटल योग कार्यक्रम के दौरान न्यूयॉर्क के प्रख्यात योग शिक्षक, लेखक एवं व्याख्याता इडी स्टर्न ने विभिन्न आसन एवं योगाभ्यास दिखाए.

डिजिटल कार्यक्रम में भारत, ब्राजील, कनाडा, स्पेन, मेक्सिको, फ्रांस और अमेरिका सहित दुनियाभर के योगाचार्यों ने हिस्सा लिया. इसमें सूर्य नमस्कार एवं अन्य योगासन किए गए.

वर्ष 2015 में पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से ही संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी मिशन संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में योग कार्यक्रम का आयोजन हर वर्ष करता है जिसमें संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी, राजदूत, राजनयिक, नागरिक समाज के नेता और योगाचार्य हिस्सा लेते हैं.

बहरहाल, पिछले वर्ष से कोविड-19 महामारी के कारण योग दिवस डिजिटल रूप से आयोजित किया जा रहा है. महामारी के कारण इस वर्ष लगातार दूसरी बार योग दिवस डिजिटल प्रारूप में मनाया गया.

(पीटीआई भाषा)

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