वाशिंगटन : रक्षा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर भारत और अमेरिका द्वारा अहम करार करने और मई में चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक दूसरे से रिकार्ड चार भेंटवार्ता करने के साथ ही वर्ष 2019 में दुनिया के सबसे बड़े इन दोनों लोकतांत्रिक देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी तेजी से आगे बढ़ी.
रणनीतिक साझेदारी की मजबूती साल के आखिर में दूसरी 'टू प्लस टू' वार्ता के समापन पर जारी किये गये भारत और अमेरिका के संयुक्त बयान में परिलक्षित हुई. यह निश्चित रूप से वर्ष 2019 की अहम घटना है.
वाशिंगटन में दिसंबर में दूसरी 'टू प्लस टू' बैठक में दोनों देशों ने प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर हस्ताक्षर किये. इस बैठक में दोनों देशों के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया.
सभी संबंधों को व्यापार के नजरिये से देखने वाले ट्रंप के लिए सुकून की बात यह है कि द्विपक्षीय व्यापार में भी तेजी आयी और सामने आ रहे साल की दूसरी छमाही के अनुमानित आंकड़ों से आगामी समय में व्यापार घाटे में कमी आने का अनुमान है.
बीते साल में भारत ने अमेरिका से अत्याधुनिक सैन्य उपरकणों की खरीद के लिए अरबों डॉलर का आर्डर दिया, सेना के तीनों अंगों की भागीदारी वाला सैन्य अभ्यास टाईगर ट्रिम शुरू किया और रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल की गति तेज की. यह सैन्य अभ्यास अब हर साल होगा.
हिंद प्रशांत में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग नयी ऊंचाई तक पहुंचा. दोनों देशों हिंद प्रशांत क्षेत्र में यह सुनिश्चित करने के लिए समान सोच वाले अन्य साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं कि संसाधन संपन्न इस क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता हो और शांति रहे. इस क्षेत्र में चीन अपना पैर पसारने में जुटा है.
अमेरिका खुश है कि भले ही शुरू मे भारत अनिच्छुक रहा हो लेकिन अब वह अनौपचारिक परामर्श तंत्र क्वाड को संस्थागत रूप देने में मदद कर रहा है. उसमें अन्य दो देश जापान और आस्ट्रेलिया हैं.
अमेरिका ने मालदीव पर भारत के इस रूख का भी समर्थन किया कि कोई तीसरा देश उसके अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करे.
इस साल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मोर्चे पर दोनों देशों के बीच अप्रत्याशित सहयोग नजर आया. जब फरवरी में पुलवामा में नृशंस आतंकवादी हमले में 40 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये तो अमेरिका यह कहने वाला पहला देश था कि भारत को आत्मरक्षा का अधिकार है.