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14 महीनों के अंदर अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाएगा अमेरिका

कतर के दोहा में 18 महीने लंबे वार्ता के बाद आखिरकार अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता पर सहमती बनने के बाद अब दोनों पक्षों के बीच शांति समझौता पर हस्ताक्षर हो गए है. समझौते के दौरान 30 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विदेश मंत्री और प्रतिनिधि अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साक्षी बनने के लिए उपस्थित रहे है. समझौते के मुताबिक अमेरिका 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से अपने सैन्य बलों को वापस बुलाने की बात कही गई है. पढ़ें पूरी खबर..

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प्रतीकात्मक चित्र

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Published : Mar 1, 2020, 10:01 AM IST

Updated : Mar 3, 2020, 1:06 AM IST

वाशिंगटन : अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में शनिवार को ऐतिहासिक समझौते पर हुए हस्ताक्षर के तहत अमेरिका अगले 14 महीनों में अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी पूरी कर लेगा और शुरुआती चरण में अगले चार महीनों के अंदर सैनिकों की संख्या वहां 13,000 से घटाकर 8,600 कर दी जाएगी.

समझौते के तहत पहले 135 दिनों में अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करेगा और इसी अनुपात में अपने सहयोगियों और गठबंधन बलों में भी कटौती की जाएगी.

इसमें कहा गया कि अमेरिका अफगानिस्तान से अमेरिका, सहयोगियों और गठबंधन साझेदारों के गैर कूटनीतिक नागरिक कर्मी, निजी सुरक्षा ठेकेदारों, प्रशिक्षकों, सलाहकारों और सहायक सेवा कर्मचारियों समेत सभी सैन्य बलों की इस समझौते की घोषणा के 14 महीनों के अंदर वापसी के लिये प्रतिबद्ध है.

अमेरिका, उसके सहयोगी और गठबंधन पांच सैन्य अड्डों से अपने सभी बलों को वापस बुलाएगा.

इस ऐतिहासिक करार के दूसरे हिस्से में अमेरिका, उसके सहयोगी और गठबंधन अगले साढ़ो नौ महीनों में बचे हुए बल को वापस बुलाएंगे.

समझौते में कहा गया है कि अमेरिका और उसके गठबंधन सहयोगी बचे हुए अड्डों से अपने सभी बलों को वापस बुलाएंगे.

शांति समझौते का उद्देश्य अफगानिस्तान में 18 साल से चल रहे युद्ध को खत्म करना और अमेरिकी बलों की वापसी का मार्ग प्रशस्त करना है.

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि जवानों की वापसी और समझौता एक समानांतर प्रक्रिया है. विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और भारत समेत कई अन्य विदेशी राजनयिकों की मौजूदगी में अमेरिका ने दोहा में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये.

नाम ना जाहिर करने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, 'हमारी वापसी इस समझौते से जुड़ी है और शर्तों पर आधारित है. अगर राजनीतिक समझौता विफल होता है, अगर वार्ता नाकाम होती है तो ऐसी कोई बात नहीं है कि अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिये बाध्य है.'

अधिकारी ने कहा, 'यह कहने की बात नहीं है कि राष्ट्रपति के पास अमेरिका के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह कोई भी फैसला कर सकते हैं जो उन्हें हमारे राष्ट्रपति के तौर पर उचित लगता है, लेकिन अफगान पक्ष अगर किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहते हैं या तालिबान समझौते की वार्ता के दौरान बुरा इरादा दिखाता है तो अमेरिका पर कोई बाध्यता नहीं है कि वह अपने सैनिकों को वापस बुलाए.'

सवालों के जवाब में अधिकारी ने कहा कि सैनिकों की वापसी तत्काल नहीं होगी.

सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करना शुरुआती समझौते का हिस्सा है और यह कुछ महीनों में होगा.

अधिकारी ने कहा, 'यह तत्काल नहीं हो जाएगा. इसे अमल में लाने में थोड़ा वक्त लगेगा. लेकिन यह मौके पर मौजूद कमांडर की अनुशंसा है, राष्ट्रपति का इरादा है और यह एक समझौता है.'

एक अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के मुताबिक सैनिकों की वापसी पर काम करने का अमेरिकी इरादा समझौते में व्यक्त प्रतिबद्धता के मुताबिक तालिबान की कार्रवाई से जुड़ा है, जिसमें व्यापक आतंकवाद निरोधक प्रतिबद्धताएं भी शामिल हैं क्योंकि यह अमेरिका की प्राथमिक चिंता है....

अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए प्रायोजित आतंकवाद के अंत की जरूरत : शृंगला

अधिकारी ने कहा कि जहां तक दीर्घकालिक लक्ष्य की बात है, राष्ट्रपति की महत्वाकांक्षा वहां अंतत: राजनीतिक व्यवस्था बनाने, युद्ध खत्म करने और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की प्रतिबद्धता को खत्म करने की है.

Last Updated : Mar 3, 2020, 1:06 AM IST

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