वाशिंगटन: अमेरिका के छह सांसदों के एक द्विदलीय समूह ने गुरुवार को अमेरिकी संसद में एक प्रस्ताव पेश किया. जिसमें महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के अवसर पर वर्तमान दुनिया में उनकी विरासत का सम्मान किया गया.
प्रस्ताव में कहा गया कि गांधीजी की विरासत ने शांति फैलाने और अहिंसक विरोध को बढ़ावा देने के लिए भारत और पूरे विश्व में अन्यायपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों को मापने के लिए सबसे अच्छा और प्रभावी तरीका के रूप में एक स्थाई प्रभाव डाला है.
गांधीजी ने कभी नहीं मानी हार
अमेरिकी संसद में इस प्रस्ताव को भारतीय के मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने पेश किया. जिसमें उनके साथ इंडिया कॉकस के चेयरमैन ब्रैड शेरमन और जॉर्ज होल्डिंग के साथ-साथ प्रतिनिधि अमी बेरा, प्रमिला जयपाल और रो खन्ना भी शामिल थे.
इस मौके पर कृष्णमूर्ति ने कहा कि जीवनभर कड़ी मेहनत और अन्याय का सामना करने के बावजूद भी गांधीजी ने स्वतंत्रता, गरिमा और समानता के लिए अपनी लड़ाई में कभी भी हार नहीं मानी. उन्होंने कहा कि मुझे महात्मा गांधी के अविश्वसनीय जीवन और इस द्विदलीय संकल्प के माध्यम से विरासत का सम्मान करने पर गर्व है.
चुनाव, लोकतंत्र और स्वतंत्रता आवश्यक अधिकार
कृष्णमूर्ति ने आगे कहा कि संकल्प संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करता है, दुनियाभर में धर्म की स्वतंत्रता का समर्थन करता है, व्यक्तिगत और सामुदायिक स्व-सुधार और नागरिक शिक्षा को प्रोत्साहित करता है. उन्होंने कहा कि और यह स्वीकार करता है कि चुनाव, लोकतंत्र और स्वतंत्रता सभी लोगों के लिए आवश्यक अधिकार हैं.
दो अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी या मोहनदास करमचंद गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध को अपनाया और औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे थे. इसके कारण भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई.
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गांधीजी ने जीवनभर की कड़ी मेहनत
'स्वराज' (स्व-शासन) और 'अहिंसा' (अहिंसा) में गांधीजी के अटूट विश्वास ने उन्हें दुनियाभर में प्रशंसा दिलाई. विश्वस्तर पर गांधी की जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर को चिह्नित करने के लिए भारत और दुनियाभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. कृष्णमूर्ति ने कहा कि जीवनभर कड़ी मेहनत और अन्याय का सामना करने के बावजूद भी गांधी ने आजादी, गरिमा और समानता के लिए अपनी लड़ाई में कभी भी हार नहीं मानी.
युवाओं और बूढ़ों को प्रेरित करते हैं उनके उदाहरण
उन्होंने कहा कि गांधीजी ने जो उदाहरण दिए, वह आज भी दुनियाभर में हजारों युवाओं और बूढ़ों को प्रेरित करते हैं. अहिंसक विरोध के उनके सिद्धांत ने दुनियाभर में नागरिक अधिकारों के आंदोलनों को जन्म दिया और आज भी इसी तरह के अहिंसक आंदोलनों को प्रेरित करना जारी है. मुझे इस संकल्प के माध्यम से उनकी विरासत का सम्मान करने और संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी भूमिका निभाने पर गर्व है.